हमारे बच्चे उच्च प्रशिक्षित (Highly educated) हैं, संस्कारों से एकदम परफेक्ट हैं। लेकिन हम जब मन्दिरों के के लिए बोलियाँ बोलते हैं, दान देते हैं, तो वो हमें रोकते तो नहीं हैं लेकिन फिर भी हमसे कहते हैं कि “आप लोग दान ऐसे विवादों भरे हुए और लड़ाई झगड़ों वाले मन्दिर में न देकर किसी गरीब और जरूरतमंदों को दें”, उस समय हमें क्या करना चाहिए?
मैं बिलकुल उन बच्चों की बातों का समर्थन करता हूँ कि जिन मन्दिरों में लड़ाई और झगड़े हैं, वहाँ दान दो ही मत! क्योंकि जितना दान दोगे, विवाद उतने और बढ़ेंगे। पैसों के पीछे झगड़े होते हैं, उन लोगों को सुधारो, बोलो- “लड़ाई झगड़े के लिए दान लोगे हमारा पैसा पाप में लगेगा, फिर केस मुकदमा होगा।” ऐसी जगह दान मत तो, दान वहाँ दो जहाँ देने से आपके भाव में अच्छे विशुद्धि की वृद्धि होती हो, वीतरागता की पुष्टि होती हो और अपने जीवन के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता हो।
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