क्या हमें दसलक्षण व्रत में बाहर घूमना चाहिए?
दसलक्षण में बाहर नहीं घूमना चाहिए। इसके पीछे की कुछ भावनाएँ हैं; व्यक्ति पूरे वर्ष अनेक प्रकार के संकल्प विकल्पों में लगा रहता है, गोरखधंधे में लगा रहता है, पाप में लगा रहता है, तो कहते हैं ‘साल भर तुम पाप में लगे हो कम से कम १० दिन तो अपने आप को सीमित करो संयम में रखो’। १० दिन के यह संयम का संस्कार से शेष ३५५ दिन तुम्हें शक्ति देगा और तुम्हारे जीवन में सन्तुलन बनाएगा। तो इसका प्रयोजन केवल यही है कि आप अपने जीवन में कुछ reservation रखें।
यहाँ हमें अपने आप को सुरक्षित रखना है। इन दिनों हम पाप न करें, ये हमारे विशिष्ट धर्माराधन के दिन हैं। इन दिनों धर्माराधन का एक सामूहिक वातावरण भी रहता है, मन भी लगता है। यदि आज साल में आप १० दिन सुरक्षित कर रहे हो तो भविष्य में पूरी जिंदगी को सुरक्षित करने की शक्ति और भावना प्रकट हो सकती है।
इसलिए कम से कम १० दिनों में व्यक्ति को अपने खानपान, आवागमन और अन्य बातों से जहाँ तक सम्भव हो बचाना चाहिए।
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