हमें भगवान पर विश्वास करना चाहिए या अंधविश्वास?
बहुत सुंदर प्रश्न किया है। विश्वास किया जाता है, अंधविश्वास होता है। तो आप अंधविश्वास मत रखिए विश्वास रखियें। विश्वास और अंधविश्वास में अंतर क्या जानते हैं आप?
अच्छा, तो पहले मुझे विश्वास और अंधविश्वास का अंतर स्पष्ट करना होगा। भगवान की शरण में जाऊँगा तो मैं सब संकटों को सहलूँगा। मेरा कैसे भी संकट हो मेरा कुछ बिगाड़ ना होगा। यह धारणा विश्वास है। भगवान की शरण में जाने से संकट मेरा कुछ भी बिगाड़ नहीं सकते, यह मेरा विश्वास है और भगवान की शरण में जाने पर मुझ पर कभी संकट नहीं आएगा यह मेरा अंधविश्वास है। समझ में आया?
भगवान की शरण में जाओगे तो भी संकट आएगा। भगवान तुम्हारे संकट के निवारक नहीं है। “तो फिर भगवान के पास काहे को जायें?” सवाल है, भगवान के पास यदि तुम जाओगे तो भगवान तुम्हारे संकट का निवारण भले ही नहीं करें, पर तुम्हें संकट परिस्थिति में उस को सहन करने की शक्ति देंगे। वह संकट तुम्हारा कुछ बिगाड़ेंगे नहीं। भगवान तुम्हारे संकटों को टालते नहीं पर वे तुम्हें तुम्हारे संकटों में संभालते हैं, बस यही विश्वास रखो जीवन धन्य होगा।
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