लोग कहते हैं कि “मंगलवार को यह नहीं करो, शनिवार को नया काम नहीं करो, गुरुवार को नाखून नहीं काटना चाहिए” – क्या यह सब सही है?
लोग कहते हैं, पर हमें समझ में नहीं आता। बहुत सारी बातें हैं लेकिन इन सब बातों को मैं रुढ़ि ही मानता हूँ। यह सब ज्योतिष शास्त्र के आधार पर विकसित हुआ है और जब मैं मुहूर्त शास्त्र पढ़ रहा था तो मैंने पढ़ कि 108 बातें शुद्ध करो तो एक पञ्च कल्याणक का मुहूर्त होता है। वो 108 बातें 5-10 साल में एकाध बार शुद्ध होती है। फिर उसमें आगे कहा “यदि ऐसा नहीं है, तो एक काम करो, जितने अधिक से अधिक हो जाये वो शोध लो।” “वो भी नहीं है, तो जो नकारत्मक हो उसको टाल करके कर लो।” “वो भी नहीं है और काम जरुरी है, तो लग्न बल से करा लो।” “लग्न बल भी नहीं है, तो क्या कर लें? तो – मनोबल से कर लो।” हमने सोचा, यह हम पहले पढ़ लेते तो मुहुर्त शास्त्र पढ़ने की जरूरत क्या थी।
रुढ़िवादी मत बनो, जितना हो सके तो हो, ज्योतिष शास्त्र देख कर काम करोगे तो बड़ा गड़बड़ होगा। लोग कहते हैं अमावस को मत जाओ लेकिन न तो कोई फ्लाइट रूकती है, न कोई ट्रेन रूकती है, न कोई गाड़ी रूकती है और किसी का काम नहीं रुकता। यदि काम बिगड़ना होता है, तो सब मुहूर्त शोधने के बाद भी बिगड़ जाता है। इसलिए इनमें लकीर के फकीर बनना मुझे कम पसन्द है।
Leave a Reply