मेरे पति का अन्य महिला के साथ सम्बन्ध है, क्या मुझे तलाक लेना चाहिए? मेरी कोई सन्तान नहीं है तथा शादी को ६ साल हो गये हैं, पति को सुधारने की बहुत कोशिश की पर कुछ लाभ नहीं हुआ। यदि मैं तलाक लेती हूँ तो क्या मुझे दूसरी शादी करनी चाहिए?
आपके पति का यदि किसी अन्य महिला से सम्बन्ध हुआ है, तो पहले कोशिश करनी चाहिए, अपने पति को रास्ते पर लाने की।
मैं आपको एक घटना सुनाता हूँ। एक बहन जिसका पति एक बारगर्ल (जो बार में डांस करने वाली होती है) के चक्कर में फँस गया। करोड़ों रुपया बर्बाद हो गया। उसकी पत्नी के धैर्य की दाद देनी पड़ेगी, उसकी समझदारी की प्रशंसा करनी पड़ेगी। उसने ऐसी स्थिति में भी अपना धैर्य नहीं खोया, वह पति के लिए ढाल बन गयी। वो जानती थी कि ‘मेरा पति बहुत अच्छा व्यक्ति है वो किसी के चक्कर में फँस गया है; गलत संगत के कारण ऐसा हो गया, मेरा ये धर्म है कि उसके चंगुल से बाहर निकाल लाऊँ।’ उसने अपने प्रेम पूर्ण व्यवहार को और बढ़ाया। पति के प्रति पोजिटिव (positive) रही और पति से एक ही बात कहती रही कि ‘ऐसी स्त्री पर भरोसा करना ठीक नहीं है’, लेकिन मौके पर कहती थी जब वो सुनने की मानसिकता में रहता था। एक बार किसी का चित्त किसी के लिए आसक्त हो जाता है, तो उसके बारे में किसी के द्वारा कोई बुराई सुनने के लिए तैयार नहीं होता। उसने बहुत धैर्य से काम किया, समझदारी से काम लिया। और अपने पति को प्रेम देकर धीरे-धीरे इस बात का एहसास करा दिया कि ‘वो औरत तो तुम्हें बर्बाद कर डालेगी। उसे तुमसे प्रेम नहीं, तुम्हारे पैसों से प्रेम है। वो वेश्या है, उसका क्या ठिकाना? बारगर्ल का क्या जीवन होता है?’ आपको सुनकर आश्चर्य होगा, ८ साल लग गये उस महिला को और उसने अपने पति को उस महिला के चंगुल से अलग करा लिया और आज उसकी जिंदगी बहुत खुशहाल है।
यदि आपके अन्दर ऐसा धैर्य हो तो आप अपने पति के हृदय को बदल सकते हैं। प्रेम से ही जीता जा सकता है गलती किसी से भी हो सकती है। उसे लौटाने की कोशिश करें। हाँ, उसने यदि दूसरी शादी कर ली हो तो, ये तो कानूनी अपराध भी है। ये ठीक नहीं है एक साथ दो का जीवन बर्बाद किया। ऐसे काम करने वाले को तो आप कानूनी सलाह लेकर भी काम कर सकते हैं। मैं ऐसी बातों को कभी प्रोत्साहित होते हुए नहीं देखना चाहता। आप ऐसा करें।
दूसरी बात, तलाक लेने की स्थिति आती है, तो धर्म के अनुकूल तलाक नहीं है। हमारे यहाँ दीक्षा लेने का विधान है तलाक लेने का नहीं है। यदि आप अपने पति से ऊब कर उससे अलग होना चाहती हो तो मैं आपसे कहता हूँ, न केवल पति से अलग हो, अपितु आप अपना रास्ता ही अलग बना लें, गुरु के चरणों में जाकर के जिन दीक्षा ले लो। तुम्हारा जीवन धन्य हो जायेगा। तुम तरोगी तुम्हारी पीढ़ियाँ तरेंगी। इस तरह का मार्ग अपनाना कतई उचित नहीं। दूसरी शादी की बात सोचना ही गलत है। एक ऐसा मिला दूसरा कैसा मिलेगा, क्या भरोसा? ठोकर खाओगी दर-दर की। पुण्य बन जाओ। अगर सन्तान नहीं है, तो ये और सौभाग्य है। इसे वैराग्य का कारण बनाओ कि किस पर विश्वास करें, किस पर भरोसा करें सब बेकार है नि:सार है। आप अपने पति से तलाक मत लो और पति से कहो कि ‘तुम्हारी अब मुझमें रूचि नहीं है, तो मेरी इस संसार में ही रूचि नहीं है मैं तो गुरू चरणों में जाती हूँ, दीक्षा लूँगी, आर्यिका बनूँगी और महान तपस्या कर के इस पर्याय से अपने जीवन का उद्धार करूँगी और संसार से पार उतरूँगी’, ये एक स्त्री का सच्चा पराक्रम है। आप इस रास्ते को अपनाओ, धर्म का मार्ग हमें यही कहता है और यही सही है।
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