कई बार परिस्थितिवश हमारा मन इस कदर हार जाता है कि जीवन में हर समय हमें सिर्फ निराशा ही निराशा महसूस होती है। ऐसा प्रतीत होता है कि अगर हमें कुछ हो गया तो हमारा क्या होगा? हमारे परिवार एवं बच्चों का क्या होगा? सोते-जागते बुरे विचार आते रहते हैं, इस परिस्थिति से उबरने के लिए हमें क्या करना चाहिए ताकि हमारा मनोबल बना रहे, कृपया मार्गदर्शन करें?
जब भी मन में हताशा के बादल छाने लगे आप अपने आप को स्थिर रखें उनसे प्रभावित मत होइये। कुछ उपाय बता रहा हूँ।
जब आपको ऐसा लगे कि आप चारों तरफ से एकदम असहाय निरुपाय महसूस कर रहे हैं तो सबसे पहले तो आप थोड़ा पॉजिटिव सोचना शुरू कीजिए। ये देखिए औरों की तुलना में मैं कितना बेहतर हूँ, जैसी स्थिति मेरी है मेरे से भी गए बीते लोग हैं, आप उनको देखेंगे तो आपको लगेगा कि ‘औरों की अपेक्षा मैं बहुत अच्छा हूँ।’
दूसरी बात, ऐसे व्यक्तियों के जीवन को अपने सामने ला करके रखें जो आप से भी ज़्यादा विषम परिस्थितियों के दौर से गुजरे हैं, मुश्किलों का सामना किया हो और उसे पार करके अपनी मंजिल तक पहुँचे हों। प्रेरणा लें कि वह सब कुछ खोकर भी वापस वहाँ पहुँच सकते है, तो मेरे पास तो अभी बहुत कुछ बचा है, मैं भी उस मुकाम को प्राप्त कर लूँगा, मुझे कोई कठिनाई नहीं होगी।
तीसरी बात अपने मन में आशावाद रखें। अपनी सोच को आशावादी बनाइए, हताश मत होइए, यह मत सोचिए कि अब सब खत्म हो गया। यह समझ करके चलिए कि हमेशा रात के बाद ही प्रभात होता है, रात है तो प्रभात होगा। यह बात स्मरण में रखिए कि कितनी भी काली रात हो, रात के बाद प्रभात होता ही है। रात लम्बी हो सकती है पर शाश्वत नहीं। होगा, आज नहीं कल होगा।
फिर जीवन में कैसी भी विषमता आये कर्म सिद्धान्त पर भरोसा रखो और यह सोचो कि थोड़े समय की बात है, थोड़े समय की बात है, थोड़े समय की बात है, सब ठीक हो जाएगा। अगर यह बात आपके जेहन में उतर गई तो इससे आपके हृदय में धैर्य उत्पन्न होगा और आपके मन का धैर्य आपकी शक्तियों को विखंडित नहीं होने देगा, आपको संबल देगा, आपको नकारात्मकता से बचाएगा, आपके आत्मविश्वास की वृद्धि में सहायक बनेगा और अगर आपने अपने आत्मविश्वास को सुरक्षित रखा तो आप सब कुछ खोकर के भी सब कुछ पा जाएँगे।
मेरे सम्पर्क में एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने कैरियर की शुरूआत की और बहुत बड़ी सफलता पाई, बहुत बड़ी ऊँचाई को छुआ। लेकिन उन्होंने बताया कि ‘महाराज! एक समय ऐसा आया कि मेरी हालत एकदम खराब हो गई और कोई मुझे ₹१०००० देने को भी राजी नहीं।’ करोड़ों से खेलने वाला इंसान, एक समय ऐसे दौर में आ गया कि कोई उसे १०००० देने में भी तैयार नहीं। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट, दिमाग बहुत अच्छा था लेकिन कई बार एक गलत निर्णय मनुष्य को बहुत पीछे छोड़ देता है। उस स्थिति में भी उसने हिम्मत नहीं हारी, उसने कहा ‘हमने सोचा, ठीक है, यह तो चक्कर है संसार का, जो चढ़ता है, वो उतरता है। आज हम नीचे आए हैं तो कल ऊपर चढ़ेंगे। विनाश के बाद ही विकास की गाथा लिखी जाती है। हमने फिर लगन से काम करना शुरू किया और धीरे-धीरे आगे बढ़े, हम उसी स्थिति में भी अपने आत्मविश्वास को रंच मात्र भी नहीं खोने दिया। धीरे-धीरे धीरे-धीरे ऐसे आगे बढ़े, आगे बढ़े कि जहाँ पहले थे उससे हम हजार गुनी ऊँची समृद्धि को प्राप्त कर पाए और आज हमारे पास सब कुछ है।’
जीवन का एक क्रम है, आशावादी बन करके चलिएगा, जीवन में कभी हताशा नहीं होगी और आप अपने जीवन को सही दिशा दे सकेंगे, सही मार्ग पर चलने की क्षमता विकसित कर सकेंगे और तभी अपने जीवन में सुपरिणाम प्राप्त कर पाएँगे। आज ये समस्याएं हर व्यक्ति के साथ हैं और उसके कारण व्यक्ति डिप्रेशन में चला जाता है जो एक महामारी का रूप ले रहा है, सब इससे बचें और अपने जीवन को आगे बढ़ाएँ।
नमोस्तु महाराज श्री जी..बहुत विचारणीय स्थिति है..यदि हम किसी से संबंध जोड़ते है..तो पहले ये अवश्य देखे की वह व्यक्ति आपसे क्या अपेक्षा से संबंध जोड़ रहा है..
कई लालची लोग अपने बच्चे का विवाह लड़की की नौकरी देख कर करते है..लड़के में भी वह अपेक्षा कूट कूट कर भर दी जाती है..
वह लड़की अपने दूध पीते बच्चे को छोड़ कर मजबूरन नौकरी पर जाने को विवश होती है ..
ऐसे में उसके दिल पर पत्थर रख कर वह जाती है.. क्योंकि उसे अब तक पता चल चुका होता है की उसका मोल सिर्फ उसके द्वारा कमाए गए पैसे है..अब तो वह नौकरी करने के लिए खुद को और प्रतिबद्ध महसूस करती है..यदि उसकी नौकरी नही रहती है तो उसका और उसके बच्चे का भविष्य केसे चलेगा..सास ससुर गांव में सेठ सेठानी की तरह घूमते है और काम वासना से घिरे हुए और भोग विलास में डूबे जीवन का आनंद उठाए जा रहे होते है.. वह लड़की नौकरी करने के लिए पति से दूर अपने मायके आती है क्योंकि वह नवदम्पत्ति मेट्रो शहर में अकेले रहते और लड़की अपने नवजात को किसी अनजान के हाथों में देने से घबराती है और अपने भ्राता और माता का सहारा लेती है..तब केसे मन में ऐसे लोगो के लिए कोई आदर सम्मान या प्रेम केसे रख पाएगी..