पूरे परिवार को प्रेम के सूत्र में बांधने के लिए सूत्र बताइए?
एक सूत्र में बन्धेंगे तभी, जब प्रेम होगा। प्रेम बांधता है और द्वेष तोड़ता है। परिवार का केन्द्रीय तत्त्व भावना है। जीवन में दो बातें बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है, एक है बुद्धि और दूसरी है भावना। दोनों का सम्पर्क जब ठीक होता है, समन्वय होता है, तब जीवन अच्छा चलता है। इनमें कुछ कार्य ऐसे होते है, जो बुद्धि से होते है और कुछ कार्य ऐसे होते है, जो भावना से होते है। अगर आपको व्यापार करना है, तो वहाँ पर बुद्धि का प्रयोग करो और परिवार चलाना है, तो वहाँ भावना को प्रमुखता दो। बुद्धि बाँटती है और भावना जोड़ती है। भावना में त्याग दिखता है और बुद्धि में त्याग नहीं दिखता है। बुद्धि सदैव लाभ और नुकसान की बात सोचती है और भावना हृदय को छूती है, वो अच्छे और बुरे को देखती है। जब तक लाभ और नुकसान के गणित में उलझे रहेंगे, कभी प्रेम को संस्थापित नहीं कर सकेंगे। लाभ और नुकसान की जगह अच्छे और बुरे को देखोगे, तो कभी प्रेम विखण्डित नहीं होगा।
कई बार ऐसा होता है कि हमारे व्यक्तिगत लाभ में भी परिणाम बुरा दिखता है और कई बार व्यक्तिगत नुकसान में भी परिणाम अच्छा दिखता है। सन्त कहते हैं कि परिवार के संचालन में लाभ और हानि को देखने की जगह अच्छे और बुरे को देखो। दूसरी बात परिवार को चलाना है, तो सच और झूठ को, उसका आधार मत बनाओ। ये सच्चा, ये झूठा, ये आधार मत बनाओ। अच्छा क्या है, इसे देखो। वहाँ सत्य की जगह स्नेह को अधिकता दो। अदालत चलती है सच और झूठ के आधार पर, और परिवार चलता है अच्छे और बुरे के आधार पर। झूठ यदि परिवार के कल्याण के लिए है, तो उसे भी हमें प्रमुखता देनी चाहिए तथा सच भी यदि परिवार के विखण्डन का कारण बनता है, तो उससे दूर रहना चाहिए। ये दो मुख्य बातें, मैंने परिवार के संचालनार्थ बतायी हैं।
लेकिन परिवार को एकजुट बनाये रखने के लिए यदि कोई प्रमुख कारण हैं, तो मैं केवल दो बातें आपसे कहना चाहता हूँ। पहली बात उदारता, दूसरी बात सहिष्णुता। उदारता और सहिष्णुता अपनाइये। उदारता का मतलब एक दूसरे के प्रति उदार बनिये। एक-दूसरे के प्रति उदार होने का मतलब यदि किसी व्यक्ति के जीवन में कुछ है, कुछ उपलब्धि है, तो उसकी प्रशंसा कीजिए और आपने यदि कुछ पाया है, तो औरों के साथ बाँटना सीखिए, उदारता का मतलब यही है। जो उदार होता है आकाश की भांति, उसका हृदय विशाल होता है। तो अपने हृदय में उदारता को विकसित करने का प्रयास करें, जितना बन सके उदार बनें। अक्सर लोगों की मनोवृत्ति अनुदार होती है और जो अनुदार प्रवृत्ति के लोग होते हैं, उनकी सोच संगीन और चिंतन स्वार्थी बन जाता है। वो केवल अपने फायदे की बात सोचते हैं, औरों की नहीं। और इसका नतीजा ये होता है कि धीरे-धीरे खिंचाव आने लगता है। प्रेम विखण्डित हो जाता है, इसलिए उदार बनिये। अपनी जगह दूसरों को भी देखिए। मैं महिलाओं की तरफ ध्यान केन्द्रित करते हुए कहता हूँ कि यदि देवरानी मायके से अच्छी हीरे की चूड़ी लेकर आयी है, अच्छी साड़ियाँ लायी है, तो जेठानी को दिखाने की जगह यह कहे कि दीदी अगर आप पहले पहनोगी, तो मुझे अच्छा लगेगा। देखती हूँ कि, आप पर कैसी लगती है? आप पहनो तो सही। ऐसा करके देखो। जेठानी यदि कुछ लेकर के आयी है, तो अपनी देवरानी से कहे कि बहन तुम इसको पहन कर के देखो। तुम पहनोगी, तो मुझे अच्छा लगेगा।
पर अगर ऐसा करेंगे, तो मज़ा ही खत्म हो जायेगा। मज़ा तो तब होता है, जब कोई अच्छी चीज़ लेकर आयें और उसे इस स्टाइल में पहनें कि उसको देख-देखकर दूसरे को जलन हो, आग लगे। ये बुराई है, प्रेम की जगह ईर्ष्या की आग लगाकर के जीवन में शांति कैसे पाओगे? प्रेम हमेशा त्याग माँगता है और उदार व्यक्ति के हृदय में ही प्रेम पनप सकता है।
सूत्रात्मक रूप में, मैं इतना ही कहना चाहता हूँ कि जीवन में उदारता को स्थान दीजिए। उदार व्यक्ति अपनी जगह सामने वाले के विषय में पहले विचार करता है। दूसरा है सहिष्णुता, आप सहन करना सीखिए। एक परिवार में दस आदमी है, तो दस तरह की बातें होंगी। आप एक दूसरे की बातों को सहने की ताकत रखोगे, पचाने की ताकत रखोगे, तब तो आपका जीवन अच्छे से चल सकेगा। यदि आप सह नहीं सकते, सहनशीलता की कमी है, तो आप कभी आगे नहीं बढ़ सकते।
कई प्रकार की सहिष्णुता होनी चाहिए। गुणों के प्रति भी सहिष्णुता होना है और लोगों की बातों के प्रति भी सहिष्णु होना है। अगर किसी में गुण हो तो उसकी प्रशंसा हो, उसकी प्रतिष्ठा हो तो आप भी उसमें शामिल हो। लेकिन आजकल लोगों में परगुण असहिष्णुता का स्वभाव जैसा आ गया है। दूसरे में कोई गुण हो तो बर्दाश्त नहीं होता है, आग लग जाती है और जहाँ ईर्ष्या की आग लगती है, वहाँ बिना प्रतिशोध, वैर भाव स्वतः पनपने लगते है, उससे बचिए। गुणी वह है, जिसके हृदय में गुणी जनों को देख प्रेम उमड़ आवे। आप प्रशंसा कीजिए और उसे प्रोत्साहन दीजिए और आप के प्रति किसी का अनुचित व्यवहार हो तो उसे सहन कीजिए, उसे पचा लीजिए। यदि ऐसा करते है, तो आप के घर में प्रेम का साम्राज्य स्थायी बना रहेगा। फिर कभी कुछ सोचने जैसी बात नहीं रहेगी।
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