बारिश के पानी की महत्ता!

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शंका

हमारे शहर में कुएँ हैं, उनका पानी खारा है मीठे कुएँ बहुत कम है, ऐसी परिस्थिति में जब साधु आते हैं तो पानी की बड़ी समस्या रहती है, तो क्या जो बरसात का पानी है उस पानी को संरक्षण करके हम व्रती को दे सकते हैं?

समाधान

वर्षा का जल सबसे उत्तम माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार बारिश के जल को प्रासुक जल कहा है बारिश का पानी, पानी नहीं अमृत है, दिव्य जल है, सबसे श्रेष्ठ जल है और उस पानी का प्रयोग व्रती-महाव्रती सबके लिए किया जा सकता है और करना चाहिए। जिन इलाकों में अच्छा पानी नहीं मिलता, आप लोग तो राजस्थान के हैं खासकर तो टोंक, नागौर, लाडनूं, सुजानगढ़, बीकानेर जिन इलाकों में अच्छा पानी नहीं है उनके यहाँ टांके का पानी पूरे वर्ष चलता है। बरसात के पानी को यदि आपने ठीक ढंग से संग्रहित कर लिया और उसे सूर्य के प्रकाश और मिट्टी के संसर्ग से बचा कर रखा तो इससे अच्छा पानी और कोई दूसरा पानी नहीं है। आर ओ के पानी में भी वह गुणवत्ता नहीं जो बारिश के पानी में है। आजकल कुएँ का पानी या बोरिंग का पानी तो आर्सेनिक हो गया, उससे कैंसर जैसी बीमारी की भी सम्भावना है। लेकिन बारिश का पानी डिस्टल वाटर है, कैसे? समुद्र के पानी का सूर्य डिस्टलाइजेशन होता है, बादल बनते हैं, बरसता है, तो एक प्रकार का डिस्टिल्ड वाटर है, उसको ठीक ढंग से संग्रहित करा जाएँ तो यह पानी पीना चाहिए। मेरे साथ संयोग ऐसा बना, ब्रह्मचारी धर्मेंद्र के यहाँ टांका है, व्रती हैं। ये नियमित उस टांके का पानी पीते हैं और त्रिवेणी नगर में जब हम थे तो वहाँ कुआँ न होने के कारण उन्हीं के टांके का पानी चौकों में गया और हमने वह पानी पिया, सबसे हल्का पानी, जैसा लगे ही नहीं, इसका स्वाद ही अलग। इसको बढ़ावा देना चाहिए। जिन मन्दिरों में कुएँ के पानी की व्यवस्था नहीं है उनको टांका बनाना चाहिए और भगवान का अभिषेक और प्रक्षाल इस शुद्ध और प्रासुक जल से करना चाहिए। त्यागी व्रतियों के लिए भी ऐसे ही पानी का प्रयोग करना चाहिए जो उनके स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छा है। यह श्रीकांत शाह अभी औरंगाबाद से आए हुए हैं महाराष्ट्र से, उन्होंने बताया कि नियम सागर जी महाराज का चातुर्मास एलोरा में हुआ। उनको बड़ी तकलीफ रहती थी, बीमार रहते थे और इस वर्ष उन्हें बारिश का पानी दिया गया, उनका स्वास्थ्य एकदम ठीक हो गया। बारिश के पानी में यदि सूर्य की किरणें न पड़े और मिट्टी का अंश न लगे, संग्रह करने के बाद तो वो पानी कभी अशुद्ध नहीं होता, खराब नहीं होता, सालों ख़राब नहीं होता। उसका तरीका है कि जब बारिश हो तो थोड़ी देर पानी को बह जाने दीजिए ताकि मिट्टी धुल के बह जाएँ और उसके बाद उस पानी को आप अपने टंकी में स्टोर कर लीजिए। एक अलग से वाल्व लगा करके, जब आप की टंकी भर जाए, एयरटाइट रखें और जैसा मैंने पहले सत्र में कहा था, आज भी जिन स्थानों में है, शुद्धता का जरूर ध्यान रखें। वो शुद्धि नहीं होगी तो उसमें जीव उत्पत्ति हो सकती है। एयरटाईट व्यवस्था रखें, जीव-जंतु का प्रवेश उसमें न हो ऐसा प्रयास करें तो बारिश का पानी आपके लिए वरदानी बन सकता है।

यह एक बड़ी अच्छी व्यवस्था है, समाधान है व्रतियो के लिए जो कुएँ के जल का अभाव होने के कारण प्रतिमा अंगीकार नहीं कर पाते और शुद्ध जल के अभाव के कारण व्रती नहीं बन पा रहे, वह अपने घर में अनिवार्यता से लगायें। एक शोध मैंने पढ़ा- बंगाल, बिहार, उत्तरप्रदेश, खासकर पश्चिमी उत्तरप्रदेश, हरियाणा और पंजाब इसका पानी बहुत ज़्यादा ऑरसैनीक हो गया है और कैंसर का कारण है। उसका कारण ये बताया कि लगातार तीन-तीन फसलें लेने के कारण इनमें यूरिया युक्त पानी यहाँ के जमीनों में रहता है। वह पूरा यूरिया जमीन के एकदम नीचे तक चला गया तो भूमिगत जल भी शुद्ध नहीं बचा। भारत सरकार स्वास्थ्य मन्त्रालय का ऐसा चैलेंज है कि 500 फीट की दूरी तक जमीन के अन्दर जो पानी है वह दूषित हो गया और उसके कारण जो माँ का दूध है वह भी दूषित हो गया है। स्वास्थ्य मन्त्रालय भारत सरकार ने एक केमिकल तैयार किया है, ये एक अवेयरनेस पूरे देश में होना चाहिए, जागरूकता होनी चाहिए ताकि पानी की समस्या भी निपट जाए, शान्त हो जाए, सुलझ जाएँ और आपका स्वास्थ्य भी सुरक्षित रहे।

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