शंका
मैं धर्म भी करता हूँ और गुरु भक्ति भी करता हूँ, लेकिन जब भी मैं मेरी पत्नी को कहीं बाहर घूमने जाने के लिए कहता हूँ तो वह कहती है “मैं महाराज को छोड़कर कहीं नहीं जाऊँगी। मैं यहीं पर आहार दूँगी और यही रहूँगी” इसका उसको कितना पुण्य मिलता है?
समाधान
उसको कितना पुण्य मिलता है, ये तो बाद की बात है, तुम्हारा पुण्य है कि तुम्हें ऐसी पत्नी मिली, खुद को भाग्यशाली समझो, जो ऐसा ऑफर मिलने पर भी मना करती है, और कोई होती तो तुम्हें नचा देती । भगवान को एक श्रीफल चढ़ाओ कि कौन से पुण्य से ऐसा योग मिला।
आपकी हिम्मत की दाद देनी होगी कि अपनी पत्नी के सामने ही ये प्रश्न पूछ रहे हैं। ये भी पुण्य का फल है।
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