सहनशीलता अगर धर्म है, तो अन्याय को सहन करना कहाँ तक सही है और वो भी ऐसा अन्यान्य कि हम आवाज भी नहीं उठा सकते। क्योंकि अन्याय करने वाले हमसे बड़े हैं, हम उनके ख़िलाफ़ नहीं जाना चाहते हैं क्योंकि हम उन्हें दुःख नहीं देना चाहते; मार्गदर्शन करें?
सुप्रिया जैन
कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिसको कह नहीं सकते तो सह लेना चाहिए। यदि कह भी नहीं सकते और सह भी नहीं सकते- तब हम कहेंगे, हम क्या कर सकते हैं। प्रतिकार करो, हमारे यहाँ अन्याय करना जितना बड़ा गुनाह माना है, उतना ही अन्याय को सहना गुनाह माना है। लेकिन कुछ जगह ऐसी होती हैं-जैसे घर में माँ-बाप हैं, परिवार के सदस्य हैं- उनके द्वारा कई चीजें ऐसी होती हैं जो हमें कई बार अन्यायपूर्ण लगती हैं। पर जिनसे हमारे कुल की प्रतिष्ठा खंडित होती हो, जिससे हमारे परिवार का गौरव नष्ट होता हो या जिससे भावी विपत्ति की सम्भावनाएँ दिखती हो, तो उस घड़ी में हमारा मौन रहना ही सबसे बड़ा धर्म है।
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