आजकल ज्यादातर लोग बीपी (BP) की या डायबिटीज (Diabetes) की बीमारी से बीमार रहते हैं। डॉक्टर बोलते हैं कि ‘यह सब चिन्ता के कारण होता है।’ इस काल में आदमी चिंतामुक्त कैसे रह सकता है?
आपके प्रश्न पर मैं पूरी तरह से विश्लेषण करूँ तो आज का पूरा सत्र आपके लिए समर्पित हो जाए। पर यदि इस सत्र को आपको समर्पित करके लोगों की चिन्ता मिट जाए तो मैं समझ लूँगा बहुत अच्छा काम है, पर फिर वे लोग चिंतित हो जाएँगे जिनका नंबर अभी बाकी है।
दरअसल चिन्ता क्यों होती हैं? आपने कभी विचार किया मनुष्य के मन में चिन्ता क्यों? आत्मविश्वास की कमी, नकारात्मक सोच, यथार्थ की अनभिज्ञता और जीवन में कृत्रिमता का आरोपण। ये चार मूल कारण है जो मनुष्य के मन में चिन्ता को जन्म देते है। जिस मनुष्य के अन्दर आत्मविश्वास हो, जो आत्मविश्वास से लबरेज होगा, उसके अन्दर कभी चिन्ता ही नहीं होगी। जो नकारात्मक सोच से ग्रसित होंगे वे कभी चिन्ता से मुक्त नहीं होंगे। यथार्थ की अनदेखी, यथार्थ से अनभिज्ञता, जीवन का यथार्थ क्या है-इसको नहीं जानने वाले लोग चिन्ता में फँसते हैं। इससे बचने का सीधा उपाय है अपने आत्मविश्वास को बढाएं, सोच को पॉजिटिव करें, जीवन के यथार्थ को सामने रखें। यह ध्यान में रखें जो कल देगा वह कल की व्यवस्था भी देगा। जो चोंच देता है वह चुग्गा भी देता है। चींटी को कण और हाथी को मण मिल ही जाता है। हम क्यों चिन्ता करें? जो जब होना होगा तभी होगा और जो होगा सही होगा। यह अवधारणा अपने जीवन में ले लें, आपकी चिंताएँ खत्म। जब मनुष्य अपने जीवन में कृत्रिमता आरोपित कर लेता है, तो उसके जीवन में अनेक प्रकार की जटिलताएँ आने लगती हैं। व्यर्थ की बातों में अपने जी को उलझाना शुरू कर देता है और वह अनावश्यक चिंताओं का कारण बन जाता है। यदि इनके सामने मनुष्य थोड़ा सा सावधान हो जाए तो चिंतामुक्त आनन्द पूर्ण जीवन जीने का अभ्यासी बन सकता है।
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