शंका
मेरी दादी टीवी के सामने बैठकर सीरियल भी देखती है, जाप भी करती हैं और णमोकार मन्त्र भी लिखती रहती है। तो यह क्या उचित है?
समाधान
वह सीरियल भी देख रही है, जाप पाठ भी कर रही हैं, णमोकार मन्त्र भी लिख रही है। अभी तक तो हमने सुना था कि एक साथ दो नाव में सवारी होती है और वे तो ३ नाव में सवार है, तो उनकी हालत क्या होगी? दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम।
उनको एक चीज सुना देना चाहिए हमने बचपन में एक बहुत अच्छा दोहा सुना था
दो मुख सुई न सिये कंथा, दो मुख पथिक चले न पन्था।
दोउ काम न हो सयाने, विषय भोग और मोक्ष पयाने।
“सीरियल देखो और जाप भी कर लें।”
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