शंका
जन्म, मरण, परण – जन्म भवों का लेखा-जोखा है। मरण इस जन्म के कर्मों का व नियति के हाथों में है। अगर सारी अनुकूलताएँ रही तो हम खाली परण की प्लानिंग कर सकते हैं। आज हमारी बुद्धि का भ्रम और अज्ञानता के पर्दे ने हमें इस तरह से ग्रसित कर लिया है कि हमने अपने परण के संस्कारों को विदेश के सात सितारा होटलों के हाथों सुपुर्द कर दिया है आज हम जो धनाढ्य (धनवान) हुए हैं तो क्या यह उसका दुष्परिणाम है? कृपया मार्गदर्शन दें।
समाधान
निश्चित, अमीरी और विलासिता ही इसके कारण है। विलासिता अमीरी का अभिशाप कहलाती है और ऐसा होता है उसी का यह दुष्परिणाम है।
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