गृहस्थ के लिए पंच कर्म कौन से हैं?

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शंका

जीवन के हर पड़ाव पर हमारी कुछ तलाश होती है। उस तलाश को खोजते रहते हैं और निरन्तर तलाश में आगे भी बढ़ते रहते हैं। लेकिन एक पड़ाव आता है कि उसके बाद कोई तलाश रहती ही नहीं है- जब हमारे सारे सांसारिक कार्य पूरे हो जाते हैं। उसके बाद हमें क्या करना चाहिए?

समाधान

सच्चे अर्थों में कहा जाए तो मरने के बाद भी लोगों के सांसारिक कार्य पूरे नहीं होते हैं। आप ये सोचो कि ‘मेरे सांसारिक कार्य पूरे होंगे तो मैं कुछ आगे की सोचूँगा’ तो जिंदगी में कभी नहीं कर पाओगे। यदि आप इस सोच के साथ आगे बढ़ते हो कि ‘मैं सांसारिक कार्यों को पूरा करते हुए अपनी आत्मा के कल्याण के लिए कुछ करूंगा’ तो निश्चित कुछ कर सकते हो। 

कुरल काव्य में एक सद्गृहस्थ के लिए पाँच बातों पर ध्यान देने की बात कही है; ये कहा कि देव पूजा, अतिथि सत्कार, कुलाचार का पालन, परिजनों की सेवा और आत्मोन्नति गृहस्थों के लिए पंचकर्म हैं  जैसे आयुर्वेद में पंचकर्म चिकित्सा होती है, ये पंच कर्म गृहस्थ के लिए हैं! देव पूजा करो, अतिथि का सत्कार करो, कुलाचार का पालन करो- आप जैन हैं, जैन कुल में जन्म लेने के नाते आपको जो आचरण करना चाहिए वो करो, परिजनों की सेवा करो- अपने घर में माँ-बाप हैं, परिवार के अन्य लोगों के प्रति पूरी तरह समर्पित होकर के काम करो और आखिरी कर्म आत्मोन्नति। 

चार बातें- देव पूजा, अतिथि सत्कार, कुलाचार के साथ परिजनों की सेवा करते हुए आप व्यावहारिक जीवन को जिएं, अपने दायित्व को निभाएँ। लेकिन सबसे बड़ा उत्तर दायित्व, स्वयं के प्रति है। स्वयं के दायित्व को पूर्ण करते हुए आगे बढ़ें और इसके लिए हमारे यहाँ कहा है कि ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, तीसरा चरण है वानप्रस्थ आश्रम, तब आखिरी चरण संन्यास आश्रम जा सकते हैं। इसलिए गृहस्थ बनें पर ग्रस्त न हों। 

विजय भाई ने ये प्रश्न किया है, मुझे आप सब से कहने में बड़ी प्रसन्नता है कि इस व्यक्ति ने उस दिशा में अपने कदम भी बढ़ा दिये हैं। इन्होंने अपने व्यापार को (wind up) कर दिया और एक बहुत अच्छी सोच लेकर (निमियाघाट में) अपने द्रव्य से एक बहुत बड़ा संस्थान ये स्थापित कर रहे हैं जिसमें जो लोग अपने गृहस्थिक जिम्मेदारी को पूर्ण करके अपने धर्म ध्यान के साथ अपने कर्तव्यों का पालन कर आत्म उन्नति की दिशा में आगे बढ़ना चाहें उनके लिए इन्होंने कार्यक्रम बना रखे हैं जो समय आने पर आपको पता लगेगा। आत्म उन्नति संयम और संकल्प से ही आदमी आगे बढ़ता है।

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