संयुक्त परिवार के टूटने के क्या कारण हैं?

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शंका

जैसे-जैसे हम लोग आधुनिकता की ओर बढ़ते जा रहे हैं वैसे-वैसे जॉइंट फैमिली (joint family) का प्रचलन खत्म होता जा रहा है। आज हर कोई न्यूक्लियर फैमिली (nuclear family) में रहना चाहता है। मेरी जिज्ञासा यह है कि जॉइंट फैमिली टूटने का कारण क्या हैं और इसे कैसे रोक सकते हैं?

समाधान

आज का समय अलग है, पहले अगर कोई अलग होता था तो कहते थे कि ‘बेटा अलग हुआ’, चर्चा का विषय बनता था। अब कोई साथ रहता है, तो -‘अच्छा! जॉइंट फैमिली है!’ जैसे कोई अपराध हो गया। जॉइंट फैमिली में कोई जल्दी से अपनी लड़की देना नहीं चाहता, मानसिकता बदल गई। पहले लोग हर स्थिति में साथ रहना चाहते थे, मिल कर रहना चाहते थे, अब हर स्थिति में अलग रहना चाहते हैं। मानसिकता बदल गई, उसके पीछे कुछ खास कारण हैं। 

सबसे पहला कारण तो यह है कि हमारे अन्दर के ‘अहं भाव’ की वृद्धि हो गई, आत्मीयता की भावना कम हो गई। व्यक्ति का नेचर बड़ा ईगोइस्ट होता जा रहा है। जहाँ ‘अहं’ बढ़ेगा वहाँ आत्मीयता नहीं होगी और जहाँ आत्मीयता का अभाव होगा वहाँ फिर आपस में रह पाना मुश्किल है। 

दूसरी बात व्यक्ति के अन्दर स्वार्थपरता बढ़ गई, उदारता का लोप हो गया। हर बात को अपने मतलब से देखने लगे, स्वार्थ का जब भाव हावी होने लगता है, उदारता खत्म हो जाती है, व्यक्ति जब केवल अपना उल्लू सीधा करना चाहता है, तो फिर दूसरों को नजरअंदाज करता है जबकि घर-परिवार में सब को साथ लेकर के चलने की वृत्ति होती है। पुराने जमाने में लोगों में उदारता होती थी, छोटी-मोटी बातों को इग्नोर किया करते थे और अपने से ज़्यादा औरों का ख्याल करते थे। अब तो न्यूक्लियर फैमिली भी खत्म, माँ-बाप को भी लोग गौण करने लगे हैं। पहले तो माँ-बाप, बच्चे कम से कम माँ-बाप के प्रति ध्यान रखते थे, अब माँ-बाप को भी वृद्धाश्रम का रास्ता दिखाने लगे तो बहुत ज़्यादा हमारी संकुचित मानसिकता है, यह इसका एक प्रबल कारण है। 

तीसरी बात सहनशीलता कम हो रही है अधीरता बढ़ रही है। सहिष्णु होना चाहिए, सहन करना चाहिए, पेशेंस होना चाहिए लेकिन अब वह चीजें नहीं है, कोई किसी की बात को पचाने की ताकत नहीं रखता, लोगों का हाजमा कमजोर हो गया। पुराने जमाने में बड़ी-बड़ी बातों को भी लोग बहुत आसानी से पी जाते थे, अब वह चीजें बिल्कुल हजम नहीं होती। बात-बात में प्रतिक्रिया देने लगते हैं तो उसके इस तरह के परिणाम होते हैं। अधीर होने के कारण लोग किसी चीज को नहीं देखते। 

चौथी बात आज लोग स्वतंत्रता को प्रमुखता देने लगे, सुरक्षा को नहीं। लोग स्वतंत्रता चाहते हैं सुरक्षा नहीं। यदि तुम्हें सुरक्षा चाहिए तो संयुक्त परिवार में रहो, एकल परिवार में स्वतंत्रता मिलेगी, सुरक्षा नहीं मिलेगी तो हमें इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए भारत की मूल संस्कृति की पहचान करते हुए इसी अवधारणा के साथ जीना चाहिए जिससे अपने जीवन को बेहतर बनाया जा सके।

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