घर में विघ्न और संकट आने के क्या कारण हैं?

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शंका

घर के अन्दर जो विघ्न और संकट आते हैं वे किन कारणों से आते हैं?

समाधान

विघ्न और संकट आने के दो कारण हैं – एक असाता वेदनीय तथा दूसरा अन्तराय कर्म। आचार्य वीरसेन महाराज ने बहुत अलग ढंग से साता और असाता वेदनीय के लक्षण को बताया। एक लक्षण यह है कि जो सुख का संवेदन कराए वो साता और जो दुःख का संवेदन कराए वो असाता। लेकिन उन्होंने कहा जो सुख की सामग्री का विनाशक हो वो असाता है और जो दुःख की सामग्री का विनाशक हो वो साता है। साता दुःख के कारण का अभाव करती है और असाता सुख के कारणों का अभाव कराती है यानि जितने भी हमारे जीवन में विघ्न और व्यवधान आते हैं उनके एक कारण असाता वेदनीय है। 

विघ्न का दूसरा कारण अन्तराय कर्म है और यदि हम इसे अधिक स्थूल रूप से कहें तो पाप कर्म है; पाप कर्म के कारण सब विघ्न व्यवधान आते हैं। इन व्यवधानों को दूर करना है तो अपने पाप को काटने का प्रयास करें और पाप को त्यागने का प्रयास करें। हम कोई ऐसा पाप कर्म न करें जिससे जीवन में विघ्न और व्यवधान घटित हों। विघ्न आने का एक और सबसे बड़ा कारण, शास्त्रों में लिखा है – धार्मिक कार्यों में व्यवधान। जिन पूजा में विघ्न डालने से बहुत तीव्र अन्तराय कर्म का बन्ध होता है। कभी किसी के धार्मिक कार्यों में व्यवधान मत डालो, कोई धर्म कार्य का काम तुम्हारे परिवार में करने जा रहा है, रोड़ा मत करो उसमें विघ्न डालने से तुम्हें बहुत-बहुत पाप का बन्ध होगा।

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