कुसंस्कार देने वाले माता-पिता का भविष्य क्या होगा? इनके लिए बच्चों के मन में सम्मान कैसे होगा? देव शास्त्र गुरु के साथ सच्चा होना आवश्यक है। माँ पिता जो हर बार हमें गलत रास्ते पर भेज रहे हैं उनकी हर गलती माफ क्यों?
बहुत महत्त्वपूर्ण बिन्दु उठाया। प्राय: माँ-बाप के प्रति सन्तान के कर्तव्य की चर्चा की जाती है; माता-पिता की भी सन्तान के प्रति एक बहुत बड़ी जवाबदारी है। कुरल काव्य में ऐसा लिखा है कि जो लोग सन्तान को जन्म देकर उसे सुसंस्कार नहीं देते वो धरती का बोझ बढ़ाने का अपराध करते हैं। तुमने सन्तान को जन्म दिया है, तो उसे इस तरह से संस्कारित करो जो सारी मानव जाति का आदर्श बन सके। धरती का आभूषण बने, भार नहीं इसलिए। माँ-बाप को चाहिए कि अपनी सन्तान को अच्छे संस्कार दें।
जो अपनी सन्तान को कुसंस्कार देते हैं वे अपने पूरे कुल का विनाश कर देते हैं, उनका सर्वनाश होता है। सन्तान का तो विनाश होगा ही होगा, खुद का भी विनाश होगा इसलिए अपनी अच्छाई चाहिए तो अपनी सन्तान को भी अच्छे संस्कार दीजिए। कहा जाता है कि धरती की उर्वरता का पता उसमें बोये जाने वाले बीज से पता चलता है वैसे ही मनुष्य के आचार और विचार से उसके कुल का पता चलता है। मनुष्य को चाहिए कि अपना जीवन वह गौरवान्वित तरीके से जिए। यह जरूरी है कि अपनी सन्तान को ऐसा संस्कार दें जिससे लोग यह पूछने के लिए उत्कंठित हो उठे कि आखिर किस पुण्य के उदय से ऐसी सन्तान को पाने का सौभाग्य पाया।
रहा सवाल ऐसे दोषी माता-पिता के लिए क्षमा करने का; क्षमा क्या किया जाए वे तो खुद अपने अपराध का दंड भोगते हैं जब अच्छे संस्कार देने के बाद भी सन्तान भटक जाती हैं तो कुसंस्कार को प्राप्त सन्तान अपने माँ-बाप के प्रति कभी अच्छा व्यवहार नहीं कर सकते। मैं तो ये जानता हूँ कंस के यहाँ कंस ही पैदा होते हैं। यदि कोई कंस जैसा आचरण करेगा तो उसके घर में कंस ही उत्पन्न होंगे, श्रवण कुमार नहीं। इसलिए चाहते हैं कि घर में श्रवण कुमारों की परम्परा बढ़े तो अपने अन्दर भी श्रवण कुमारत्व को प्रकट करें जिससे स्व-पर का कल्याण हो सके।
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