शंका
भारतीय साहित्य में ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ दो महान ग्रन्थ माने जाते हैं। इन दोनों ग्रन्थों के अध्ययन से व्यक्ति के व्यक्तित्व पर क्या प्रभाव पड़ता है?
समाधान
किसी भी ग्रन्थ, किसी भी महापुरुष के व्यक्तित्व को अगर पढ़ें और उनके जीवन दर्शन को आत्मसात करें, तो साधारण व्यक्ति भी असाधारण योग्यताओं को विकसित कर सकता है। महापुरुषों का चरित्र हमारे जीवन के कल्याण का आधार बनता है। इसीलिए आचार्य समन्तभद्र महाराज जी ने प्रथमानुयोग को ‘बोधि समाधि का निधान’ कहा है।
वो हमारे लिये काम में आ सकता है, बशर्ते उस कथा को एक कथा की भाँति न पढ़कर, उनके जीवन दर्शन को अपना जीवन दर्शन बनाने की दृष्टि से पढ़ें तो बहुत बड़ी सफलता और उपलब्धि प्राप्त हो सकती है।
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