व्यवस्थित जीवन जीने के लिए हम क्या करें कि जिस में सामाजिक, धार्मिक और पारिवारिक समन्वय बैठायें और हम सब काम को व्यवस्थित तरीके से कर सकें?
व्यवस्थित जीवन जीना है, तो अव्यवस्थित कार्य छोड़ दो। अव्यवस्थित का मतलब है असन्तुलित तरीके से जीना।
कई व्यक्ति अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों को इतना ओढ़ लेते हैं कि परिवार में ही सिमट कर रह जाते हैं, कई व्यक्ति ऐसे होते हैं जो व्यापार में इतना उलझ जाते हैं कि उनको फ़ुरसत ही नहीं मिलती, कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनको धर्म में इतना रस रह जाता है कि अपना व्यापार परिवार भी भुला देते हैं। यह सब अव्यवस्थित है। इनके जीवन में गड़बड़ियाँ होती है। जीवन की पवित्रता धर्म से भी है, इसलिए मुझे धर्म भी करना है, व्यापार भी करना है और परिवार को भी चलाना है और स्वयं को भी संभालना है। चारों में तालमेल बनाकर जहाँ जब जिसकी आवश्यकता हो वैसा काम करें, तो अव्यवस्थित नहीं रहेंगे, व्यवस्थित रहेंगे, परिणाम भी व्यवस्थित होगा।
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