शंका
मैंने अभी ‘सुख यहाँ दुःख यहाँ’ शास्त्र जी पढ़ा था। उसमें ये कहते हैं कि ‘अपने आप को पहचानो, आपकी शक्ति अपने आप में ही है।’ महाराज श्री एक बार इस लाइन को आप थोड़ा सा समझा दीजिए।
समाधान
अपने आपको पहचान लो। आप तो यात्रा में थी न, पहचान लिया अपने आपको कि मैं क्या कर सकती हूँ। दस कदम नहीं चलने वाले, एक-सौ-पैंतालीस किलोमीटर चल लिए, अपने आप को पहचानने का मतलब ये है। अपनी क्षमता को जानो, अपने स्वरूप को जानो, अपने स्वभाव को जानो और जिस दिन इसे जान लोगे, तुम्हारा जीवन धन्य होगा।
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