शंका
हम जब पूजन करते हैं तो उसमें तीस चौबीसी को नमन करते हैं जबकि हमारे सामने ये प्रश्न आता है कि अनन्तानन्त चौबीसी हुई और होगी। जो भगवान गए वो इस लोक से गये या सभी लोक से गये?
समाधान
तीस चौबीसी का तात्पर्य है पाँच भरत, पाँच ऐरावत के दस- भरत और ऐरावत क्षेत्र में चौबीसियाँ होती हैं- तो पाँच भरत और पाँच ऐरावत के दस के वर्तमानकालीन और इससे तुरंत (just) पहले होने वाले भूतकालीन और भविष्य में तुरंत बाद होने वाले भविष्यकालीन। हम लोग बहुत होशियार हैं तीनों काल को शार्ट (short) में निपटा लेते हैं। ये बहत्तर भी हो जाए तो इसको त्रिकाल चौबीसी बोलते हैं ना, इसी तरह तीस चौबीसी होंगे। भगवान जितने भी हों मनुष्य लोक में होते हैं। मनुष्य ही भगवान बन सकता और कोई नहीं। तो जितने भी भगवान की बातें हैं मनुष्य लोक से सम्बन्धित हैं। सब जगह नाम अलग-अलग होते हैं।
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