शंका
हमारे समाज में पन्थ भेद बहुत हैं, इसे मिटाने के लिए कोई कोशिश क्यों नहीं होती?
समाधान
देखिए, पन्थ भेद आज से नहीं बहुत समय से है। भगवान महावीर के निर्वाण के 163 वर्ष के बाद पन्थ भेद का बीजा रोपण हो गया था। उसके बाद भी बुहत सारे पन्थ भेद हुए।आचार्य कुन्द-कुन्द के युग में भी पन्थ भेद थे। तो आप सोचो पन्थ भेद को मिटा दिया जाये तो यह सम्भव नहीं है। पन्थ भेद हो पर लेकिन कम से कम हम पन्थी में भेद न होने दें, यही हमारा प्रयास होना चाहिए। पन्थ को एक करना शायद हमारे लिए सम्भव नहीं है पर पन्थी को एक किया जा सकता है, यह सम्भव है और पन्थी का एक होने का परिणाम सभी ने 24 अगस्त को धर्म बचाओ आंदोलन में देख ही लिया है।
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