जैन समाज को अल्पसंख्यक होने से कौनसी सुविधाएं मिलती हैं?

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शंका

जैन समुदाय को केन्द्र सरकार ने अल्पसंख्यक घोषित किया है। लगभग एक वर्ष हो गया है और हम जैन समुदाय के सभी धर्मावलम्बी इस बात से अभी तक अनभिज्ञ हैं। अल्पसंख्यक तो घोषित हो चुके हैं लेकिन क्या-क्या सुविधाएँ हमें प्राप्त हो सकती हैं, क्या-क्या हम लाभ ले सकते हैं इस बारे में कोई ऐसी व्यवस्था समझ नहीं आई? क्या हम कहीं सम्पर्क कर इस बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं?

समाधान

जैन समाज को अल्पसंख्यक घोषित कराने के पीछे समाज को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है, संघर्ष करना पड़ा है और उसके आधार पर आज जैन समाज अल्पसंख्यक घोषित हुई और समाज को इसका भरपूर लाभ उठाना चाहिए। विडम्बना ये है कि समाज के बहुत सारे लोगों को ये पता ही नहीं कि अल्पसंख्यक होने के फायदे क्या हैं? इसके बहुत सारे लाभ हैं और देश के प्रत्येक नागरिक को अपने संविधान में प्रयुक्त मौलिक अधिकारों को प्राप्त करने का पूर्ण प्रयत्न करना चाहिए और इसके बहुत सारे लाभ हैं। 

आपने मुझसे पूछा है कि इसको कैसे क्रियान्वित किया जाए? आज हमारे बीच सनत कुमार जैन, जो मध्यप्रदेश माइनॉरिटी कमीशन के एजुकेशन बोर्ड के कॉर्डिनेटर भी हैं और हमारे साथ डॉ. विमल जी जैन हैं जिन्होंने अखिल भारतीय जैन संगठन से जुड़कर इस अल्पसंख्यक आयोग के साथ जैन समाज को फायदा पहुँचाने के बहुत सारे प्रयास किए। मैं विमल जी से कहना चाहूँगा कि थोड़ा सा संक्षेप में हमारी समाज को इस बात के बारे में बताएँ कि वास्तव में अल्पसंख्यक आयोग में शामिल होने का हमें लाभ क्या है? 

जैसा अभी कहा गया कि जैन समाज को अल्पसंख्यक घोषित होने के बाद वर्तमान में भारतीय संविधान के तहत अल्पसंख्यक होने का हमें क्या लाभ हैं? एक बात मैं बताना चाहूंगा कि जब जैनियों को अल्पसंख्यक घोषित किया गया तो एक पत्रकार ने मुझसे पूछा कि ‘जैनियों को अल्पसंख्यक घोषित किए जाने पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?’ मैंने कहा कि ‘मुझे बहुत दुःख हुआ।’ आशा के विपरीत उत्तर सुनकर उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ कि ‘आप ऐसा क्यों बोल रहे हैं? इसके लिए तो पूरे देश भर के जैन समाज ने लड़-भिड़कर के जैसे-तैसे जैनियों को अल्पसंख्यक घोषित कराया और आप कह रहे हैं कि आपको बहुत दुःख है?’ मैंने कहा- “हाँ! मुझे इस बात का बहुत दुःख है कि जो जैन समाज भारत की कभी बहुसंख्यक समाज होती थी दुर्भाग्य है कि आज अल्पसंख्यक बन गई। जिस भारत भूमि की ८० प्रतिशत आबादी कभी जैन थी वहाँ आज थोड़े से बचे हैं- अल्पसंख्यक।” आज ये दुर्भाग्य है कि हमें अपने आपको अल्पसंख्यक घोषित करवाना पड़ रहा है। अल्पसंख्यक आयोग के तहत प्राप्त अधिकारों का यदि उपयोग न किया जाए तो आने वाले दिनों में आप और ज्यादा पीछे चले जाओगे। आने वाले युगों में जैन समाज और जैन धर्म की उन्नति करना चाहते हो तो प्रत्येक जैनों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने की ज़रूरत है और हर व्यक्ति को जैन धर्म और जैन समाज को आगे बढ़ाने के लिए जो सम्भव हो वो करने के लिए कटिबद्ध होने की आवश्यकता है। जैन समाज को अल्पसंख्यक क्यों मानना चाहिए?- इसके प्रयास लगातार पिछले बीस सालों से हो रहे थे। 

सनत कुमार जैन  – जनवरी २०१४ को केन्द्र सरकार ने राजपत्र में प्रकाशित करके और अन्य पाँच जातियों के समान जैन जातियों को भी पूरे अधिकार दे दिए है। अब हम अल्पसंख्यक आयोग के अनुसार पूरे देश भर में सभी प्रकार के अधिकार अपना सकते हैं। अब भारत सरकार की अधिसूचना जारी होने के बाद ये सभी प्रदेशों में लागू की गई है। अल्पसंख्यक आयोग द्वारा इनका क्रियान्वयन सही तरीके से हो इसके लिए उन्होंने मध्य प्रदेश में, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश में कॉर्डिनेटर बनाए हैं जो ये सुनिश्चित करें कि अल्पसंख्यक वर्ग की जो पात्रता है वो उस समुदाय तक पहुँच रही है या नहीं? और यदि नहीं पहुँच रही है, तो आयोग उसे पहुँचाने के लिए सुनिश्चित कार्य करे। इसका दायित्व मध्यप्रदेश में मेरे पास है और अब मध्यप्रदेश के हर जिले में अल्पसंख्यकों को, खास तौर से जैन समुदाय को उनके अधिकार प्राप्त हों इसलिए सतत कार्य कर रहे हैं। विमल जी हमारे सहयोगी हैं। योजना का सारा विवरण उनके पास ही है। 

पहले तो मैं एक बात स्पष्ट कर दूँ कि अल्पसंख्यक मतलब आरक्षण नहीं है। हम भारतीय संविधान के अन्तर्गत जो अल्पसंख्यक घोषित हुए हैं तो वो धर्म के आधार पर हैं। ये कोई जाति नहीं है, SC आदि जो जातियाँ हैं ऐसा मानें आप। बहुत से लोगों की धारणा ये हो गई है कि अल्पसंख्यक होने से हम समाज की मुख्य धारा से हट गए हैं वैसा बिल्कुल नहीं। भारतीय संविधान में जो मूल अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को हैं वो तो आपको मिलेंगे ही अल्पसंख्यक के विशेषाधिकार से आप भी घोषित हो गए हैं इससे उसमें और अधिक शक्ति आ गई है इसलिए अल्पसंख्यक घोषित करना होना अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसके बहुत सारे कारण हैं और इसके बहुत सारे फायदे हैं वो जानना आपके लिए बहुत ही जरूरी है। 

एक फायदा जो है वो जानिए, पूरे माइनॉरिटी एक्ट को कुल छः भागों में बाँटा हुआ है। पहला है – बेनीफिट ऑफ माइनॉरिटी फॉर गवरमेंट। हमने अक्सर देखा है कि बहुत सी महिलाएँ पापड़ बनाती हैं, बरी बनाती हैं, दूसरे चीजें बनाती हैं और निर्धन रहती हैं। देखिए सरकार की जो सारी स्कीमें हैं वो निर्धन मेधावी के लिए तो हैं ही इसमें और भी ऐसे बहुत सारे प्रावधान हैं जो सबके लिए हैं। तो ऐसी महिलाओं के लिए बैंकों से उन्हें बहुत कम २ प्रतिशत या १ प्रतिशत की दर से लोन मिलता है और उससे वो अपनी आय का साधन जुटा सकती हैं। इसके बारे में विस्तृत जानकारी के लिए मेरे पास अलग-अलग किताब है। दूसरा फायदा है religious institutions (धार्मिक जैन संस्थाएँ) हमारी जो धार्मिक संस्थाएँ हैं ये पूरी तरह से सुरक्षित हो चुकी हैं। हमारी धार्मिक संस्थाओं में कोई व्यक्ति बिना हमारी अनुमति के प्रवेश नहीं कर सकता। हमारे ट्रस्ट में कोई भी किसी भी प्रकार का दखल नहीं दे सकता। आज हमारी बहुत सारी धार्मिक संस्थाएँ हैं जिसके अन्तर्गत बहुत सारी दुकानें हैं और किराएदार रहते हैं, खाली नहीं करा पाते। आप आश्चर्य करेंगे इस एक्ट के अन्तर्गत रेंट कन्ट्रोल एक्ट लागू नहीं होता है और ऐसी निजी संस्थाएँ अपने फायदे के लिए उन किराएदारों से दुकान खाली करा सकते हैं ऐसा इसमें प्रावधान है। अभी आपने देखा होगा कि भारत सरकार द्वारा कुछ धार्मिक संस्थाओं को अपने हाथ में लिया गया है जैसे दक्षिण में कुछ हिंदू मन्दिर है जिनको भारत सरकार ने अपने हाथ में लिया है और उसमें पुजारियों की जो व्यवस्था होती है वो सरकार ही करती है और उन्हें वेतन भी देती है। उसमें सभी समुदाय के लोग होते हैं, पंडित भी रहते हैं, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति आदि भी रहते हैं। लेकिन आपके इस एक्ट के अन्तर्गत आ जाने से मन्दिर में केवल जैन समुदाय के व्यक्ति ही पात्र होंगे और पूरे सुरक्षित तरीके से रहेंगे। आप अपने जिले की धार्मिक संस्थाओं के बाबत् अपने जिले के कलेक्टरी को सूचित कर दीजिए कि मेरे जिले में या मेरे नगर में इतने-इतने मन्दिर हैं और ये सूची हम आप को भेज रहे हैं और इनके सुरक्षा की जिम्मेदारी अब आपकी जिम्मेदारी हो जाती है, ये अधिकार हमें सरकार की तरफ से मिल चुका है। 

तीसरी सुविधा है- बेनीफिट ऑफ ऐजुकेशन मैनेजमेंट। शैक्षिक संस्थाओं के लिए अल्पसंख्यक आयोग ने क्या सुविधाएँ दी हैं? माइनॉरिटी एक्ट के अन्तर्गत जितनी भी सुविधाएँ हैं ८० प्रतिशत सुविधाएँ विद्यार्थियों के लिए और शैक्षिक संस्थाओं के लिए हैं। इसमें आप आश्चर्य करेंगे कि कक्षा १ लेकर ४ तक प्रत्येक विद्यार्थी को सरकार १००० रु. साल देगी वो हर साल रिन्यूअल होता जाएगा। कक्षा चौथी से लेकर दसवीं तक डिप्रीमेंटल कहलाता है जिसमें चार हजार रुपये हर साल सरकार देती है, इसके बाद कक्षा ग्यारहवीं से लेकर स्नातक सात हजार रुपये हर साल देती है। पीएचडी करने तक यदि आपका बेटा इंजीनियरिंग पढ़ता है, तो ऐसे विद्यार्थियों को बीस हजार रुपये एडमीशन के और पाँच हजार रुपये स्कॉलरशिप; तथा यदि हॉस्टल में रहता है, तो पाँच हजार रुपये और इस प्रकार से तीस हजार रुपये सालाना सरकार हमें देती है। देश की ऐसी कौनसी संस्था है, तो ऐसे विद्यार्थियों को जो निर्धन और मेधावी छात्र-छात्राएँ हैं उनको सहायता करती है? लेकिन सरकार द्वारा बहुत सारा पैसा बजट में आता है। हमें इसका लाभ लेना चाहिए और यदि आपका बच्चा विदेश में पढ़ना चाहता है, तो तीस लाख तक का अनुदान लोन के रूप में सरकार देती है और वो ब्याज सरकार चुकाती है और जब आपकी नौकरी लग जाती है, तो उसके छः महीने या एक साल के अन्दर आपको वो लोन वापस करना होता है। तीन प्रतिशत वार्षिक ब्याज के बहुत ही सामान्य दर से है। ऐसा कौन दे सकता है जिससे हमारे बच्चे विदेश में पढ़ सकें? एक बात और मैं आपको बताऊँ, आप मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं और आपका बच्चा पूना में पढ़ रहा है, तो आपको उस बच्चे के लिए जो पैसा मिलेगा वो उस प्रदेश के बजट से मिलेगा। 

बेनिफिट ऑफ एन.जी.ओ.- जो गैर सरकारी संस्थान रहते हैं जो सामाजिक सेवाओं में लगे रहते हैं इनको सरकार जीरो प्रतिशत पर लोन देती है। अगर माइनॉरिटी एक्ट के अन्तर्गत आप एन.जी.ओ. में रजिस्टर्ड हैं तो आपको जीरो प्रतिशत के अन्तर्गत धन मिलेगा। उसको आप दो प्रतिशत या तीन प्रतिशत के माध्यम से गरीब संस्थाओं को लोन दे सकते हैं। इस प्रकार से उसकी सहायता भी हो जाएगी और एन.जी.ओ. के पास जो धन है उसकी फण्डरेंजिंग भी हो जाएगी। 

माइनॉरिटी फॉर बिजनेस- व्यापारियों के लिए, हमारे छोटे-छोटे गाँवों में बहुत सारे व्यवसायी हैं। ये स्कीम इतनी प्यारी है कि आप आश्चर्य करेंगे जिनकी साढ़े चार लाख रुपये से कम आय है, उन्हें दस लाख रुपये तक का लोन सरकार देती है जिसमें पच्चीस प्रतिशत का अनुदान रहता है। यानि आप सरकार से दस लाख लेते हैं, तो आपको केवल साढ़े सात लाख रुपये वापस करना पड़ेगा और ढाई लाख रुपये आपको वापस नहीं करना पड़ेगा और ब्याज आपको छः प्रतिशत वार्षिक यानि आधा प्रतिशत माह का चुकाना होगा। ऐसी कौन सी संस्था है जो आपको इतनी कम वार्षिक दर पर दस लाख रुपये लोन दे दे? ऐसी ये बहुत सारी सुविधाएँ हैं। 

इनकी जानकारी छः किताबें उपलब्ध है इसका प्रत्येक व्यक्ति लाभ ले ऐसा हम चाहते हैं। हर जिले में एक अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ बने। कुछ समाजसेवी व्यक्ति जो रिटायर्ड हैं इससे जुड़ें ताकि हम उसका लाभ ऐसे निर्धन और गरीब परिवारों तक पहुँचा सकें इसकी बहुत ज़रूरत है। हमारे सनत साहब वैधानिक तौर पर उच्च स्तर पर हमारे साथ जुड़े हुए है लेकिन फील्ड लेवल पर, जमीनी लेवल पर हमें काम करना है। फार्म कैसे भरे जाते हैं? कैसे एप्लाई किया जाता है? अभी ये प्रश्न और आया था कि आप अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र कैसे प्राप्त करेंगे? आप पचास रुपये के स्टाम्प पेपर के साथ नोटरी के यहाँ जाइये। इसका एक प्रोफार्मा है केन्द्र सरकार द्वारा। आप वहाँ से अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र बनवा सकते हैं। तहसीलदार के यहाँ या कलेक्टरी के यहाँ चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है। विद्यार्थी के लिए अल्पसंख्यक के फार्म बनवाना बहुत जरूरी है और आय प्रमाण पत्र भी आप नोटरी द्वारा बनवा सकते हैं जहाँ जिसके द्वारा होते हैं उसके द्वारा हमको काम करना पड़ता है। 

एक आवश्यक जानकारी और मैं आपको देता हूँ कि, आप हर हालत में अपने नाम के आगे जैन जरूर लिखें। कक्षा दसवीं का जो प्रमाणपत्र रहता है उसमें आप सिंघई हैं, सेठ हैं, पोरवाल हैं, खण्डेलवाल हैं, यदि आपने जैन नहीं लिखा है, तो आगे चलकर आपके लिए बहुत सारी कठिनाई आ सकती हैं और अल्पसंख्यक के जो फायदे हैं वो आपको प्राप्त नहीं होने वाले हैं। इसलिए सिंघई विमल कुमार जैन लिख दो या ‘विमल कुमार सिंघई जैन’ ज़रूर डालो। अभी भी जो फार्म भरे जा रहे हैं परीक्षाओं के आप शिक्षाधिकारी को सिंपल आवेदन दे दें कि हमारे बेटे ने जो फार्म भरा है उसमें हमने जो सर नेम लिखा है, तो आप उसे हटाकर या उसी में जैन और जोड़ दें तो ये प्रमाणपत्र आपको जीवन पर्यंत काम आएगा और हर क्षेत्र में काम आएगा। 

ये तो मुख्य बातें मैंने आपको बताई हैं और जो मैंने बतलाया कि अल्पसंख्यक का जो आरक्षण है वो जाति के आधार पर है धर्म के आधार पर नहीं है। कृपया अपने मन में ऐसी कोई धारणा न लाइये कि हमारी ग्रेड कोई छोटी कर दी गई है। 

महाराज जी ने जैसा बतलाया कि जहाँ हम करोड़ों की संख्या में थे, बहुसंख्यक थे, दो हजार एक की जनगणना में हम लोग मात्र पैंतालीस लाख थे, ये क्या है? सबसे पहले मुसलमान हैं, उसके बाद सिख हैं, उसके बाद ईसाई हैं, उसके बाद बौद्ध हैं, उसके बाद जैन हैं, उसके बाद पारसी हैं। पारसी के ऊपर सबसे नीचे वाली श्रेणी में हमारे जैनों का नंबर है। यदि इसी प्रकार हम कम होते गए तो हमारे जो मन्दिर हैं उनमें कोई पूजा करने वाला नहीं बचेगा। हमारी बच्चियाँ समाज के बाहर जा रही हैं। मुनियों को आहार देना वाला कोई नहीं बचेगा। 

मैं इसके बारे में भी बताता हूँ कि जो अपनी बच्चियों की शादियाँ समाज के बाहर करते हैं उसके लिए भी मैं अठारह घंटे की ट्रेनिंग देता हूँ और वो ट्रेनिंग एक बार भी यदि बेटियाँ अटेंड कर लेती हैं तो मैं दावा तो नहीं कर सकता, लेकिन कहीं दूसरी जगह शादी करने में वो दस बार सोचेंगीं। महाराज जी जब मैंने इंजीनियरिंग कॉलेज में तीन दिन की ट्रेनिंग दी तो उनमें से एक बेटी बोली कि ‘अंकल जी यदि मैं ये ट्रेनिंग नहीं ले लेती तो शायद मैं कोई गलत कदम उठा लेती’। तो इस चरण में- ‘इम्पावरमेंट ऑफ द गर्ल-फेस द सोशल चेलेंज’ इक्कीसवीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए युवतियों का शिक्षीकरण- इसके लिए मेरा तीन दिन का प्रोग्राम ऑडियो- वीडियो के माध्यम से होता है। जो भी समाज अपने स्थान पर ये ट्रेनिंग प्रोग्राम रखवाना चाहती है पन्द्रह दिन पहले हमें सूचित करें इसकी कोई शुल्क नहीं। मैं अपना नंबर बता दूँ डॉ. विमल कुमार जैन ०९४२५८६६२३१ कभी भी आप कॉल करें पन्द्रह दिन पहले। आपका कोई भी खर्च नहीं आएगा। मैं आने-जाने का खर्च भी उठाता हूँ। आप बच्चों की उनके बैठने की माइक आदि की व्यवस्था कर दें।

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1 comment
  • janeshwar jain February 2, 2023 at 6:04 am

    Me jain hu or mujhe jarurat he samaj se help ke me garib hu or kuch samaj nahi aha r he ke kon meri jain bandu help karega

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