मैं ऐसी क्या भावना भाऊँ कि मेरा आने वाला बच्चा बहुत संस्कारी हो और तीर्थंकर प्रकृति का हो?
सपना जैन, मनावर
इन दिनों जितना बने अपने मन को शुभ भाव में भरो, धार्मिक चिन्तन और बच्चे के भीतर उत्साह बढ़ाने वाली कथाएँ पढ़ो। उसके बल, पौरुष और पराक्रम को बढ़ाने वाली कथाएँ पढ़ो। महापुरुषों के चरित्रों को पढ़ो, अपना चित्त संक्लेश से मुक्त रखो। जहाँ तक बने आमोद-प्रमोद, धार्मिक चिन्तन और ललित कलाओं के मध्य अपना समय बिताओ। इस बात का ध्यान रखो कि तुम्हारी जितनी भी प्रवृत्तियाँ हैं उसका सारा प्रभाव उस पेट में पलने वाले बच्चे पर पड़ेगा इसलिए अच्छे भाव बढ़ा कर रखो। और आपने जो ये भावना भायी है कि मेरे बच्चे का तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध हो जाएँ तब मेरे मन में ऐसा आया कि बच्चे का तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध हो या न हो पर ऐसे भाव रखने वाली माँ एक दिन तीर्थंकर की माता भी बन सकती है यह आशीर्वाद मेरा तुम्हारे लिए है। आज एक बच्चे को जन्म दे रही हो भावान्तर में तीर्थंकर को जन्म देने का सौभाग्य पाओ और जितना बन सके अपने मन को शुभ में रमाओ।
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