नाराज़गी दिखाने का अच्छा उपाय क्या है?

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शंका

नाराज़गी दिखाना अच्छा नहीं है फिर भी नाराज़गी दिखाने का अच्छा उपाय क्या है?

आशीष जैन, दिल्ली

समाधान

देखो! नाराज़गी कभी कभी अच्छी भी होती है। कभी कभी नाराज़गी दिखाने से काम बनता है। एक बार ऐसा हुआ, एक साँप महाराज के उपदेश सुनने चला गया। उपदेश सुनते सुनते वह प्रभावित हो गया और उसने नियम ले लिया कि किसी को नहीं काटूंगा। साँप बड़ा ही खतरनाक था, खूंखार था। उसने नियम ले लिया। पहले उसके पास से निकलने पर लोग भय खाते थे। अब जब सबको मालूम पड़ गया कि यह साँप ठंडा है, नहीं काटने का नियम ले लिया है। अब सब लोग उसको छेड़ते, बच्चे उसको कंकड़ मारते। अब साँप बड़ा परेशान हो गया था। उसने कहा, “मैंने तो नियम यह सोच के लिया था कि इससे मेरा उद्धार होगा पर यह तो मेरे जी का जंजाल बन गया। वह महाराज के पास गया और बोला, ” महाराज यह नियम मेरे जी का जंजाल बन गया”, इसलिए अब आप ही कोई रास्ता बताओ। जब रास्ता बताने की बात आई तो महाराज ने पूछा- “क्या बात हो गई”? उसनें पूरी अपनी राम कहानी सुनाई। तब महाराज ने कहा- “भैया तुमने नियम क्या लिया था? वह बोला ” कभी किसी को नहीं काटूंगा”। महाराज ने बोला- “काटने का नियम लिया था, फुंकारने का तो नियम नहीं लिया था”?

वह बोला ” नहीं महाराज”। महाराज बोले ” अब ऐसा करो, आगे से काटना मत, फुंकार भर देना। अब जैसे ही बच्चे उसके सामने आए, साँप ने अपना पैंतरा बदला और ज़ोर से फुंकार भर दी और सारे बच्चे भाग गए। इसलिए ऐसी नाराज़गी होना ठीक है जिसमें काटने की बजाय फुंकार भरने से ही काम चल जाये।

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