शंका
भक्ति क्या है? उसका फल क्या है?
समाधान
भक्ति का मतलब है भाव विशुद्धि युक्त अनुराग। अपने इष्ट के प्रति, अपने आराध्य के प्रति भाव विशुद्धि से भरा हुआ जो अनुराग होता है उसे बोलते हैं – भक्ति। भाव में विशुद्धि आनी चाहिए।
इसका फल-कर्मों का क्षय, पुण्य का बन्ध शास्त्र की भाषा में और व्यवहार की भाषा में सोच में बदलाव, सकारात्मकता की वृद्धि।
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