मार्कशीट पर नंबर या सीख
हर माता पिता को बच्चे की मार्कशीट पर नंबर तो चाहिए लेकिन बच्चे ने क्या सीखा, उसके अंदर की क्षमता क्या है इसके बारे में कोई रिपोर्ट नहीं चाहिए होती !
केवल नंबर को ही नहीं देखना चाहिए क्योंकि जो बच्चे केवल नंबर पाते हैं वह परीक्षा की जिंदगी में भले सफल हो जाएं लेकिन जिंदगी की परीक्षा में फेल हो जाते हैं। नंबर हमारी शिक्षा का प्रतिमान नहीं है, सीख हमारी शिक्षा का प्रतिमान है। शिक्षा का मतलब है ‘सीखना’। हमने क्या सीखा, क्या जाना, लोगों तक ये बात पंहुचानी चाहिए कि जितने भी आज सफलतम लोग हैं वो रैंक होल्डर्स कम हैं। ज्ञान हमारे भीतर की नैसर्गिक प्रतिभा है इसे अंको से जोड़ और तोल कर देखने का जो ट्रेंड चल पड़ा है यह बदलना चाहिए। नंबर के आधार पर बच्चे को आंकने और उसकी तुलना करने से बच्चों पर बहुत दबाव बनता है। यह एक प्रकार की हिंसा है, इस हिंसा से बचना चाहिए। बच्चों पर अतिरिक्त दबाव को बनाने से बचिए और अपने बच्चों को इस तरीके से ज्ञान दीजिए, इस तरीके से शिक्षा दीजिए कि वह बहुत स्वस्थ और खुश रह सके।
Edited by Ankit Jain, New Delhi
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