क्या है वास्तविक सुख?
What is real Happiness?
मनुष्य जब तक उत्पत्ति-विनाशशील सुख में फँसा रहता है, तब तक उसको होश नहीं होता, ज्ञान नहीं होता। उसको यह विचार ही नहीं होता कि इससे कितने दिन काम चलायेंगे ! जो उत्पन्न होता है, वह नष्ट होता ही है। जिसका संयोग होता है, उसका वियोग होता ही है। जो आता है, वह चला जाता है। जो पैदा होता है वह मर जाता है। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा क्या है वास्तविक सुख?
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