सहस्त्र कूट जिनालय क्या है?

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शंका

सहस्त्र कूट जिनालय क्या है?

समाधान

सहस्त्र कूट जिनालय का शास्त्रों में काफी उल्लेख मिलता है। कुछ पुराण-पुरुषों के द्वारा भी उल्लेख मिलता है, शायद वसुदेव के द्वारा कि- वे गए और सहस्त्र कूट जिनालय के द्वार खुल गए, और कुछ ज्योतिषियों के अनुसार उनको फिर एक राजकुमारी का लाभ मिला; श्रीपाल चरित्र में भी आता है। वर्तमान में जो सहस्त्र कूट जिनालय देश में बने हुए हैं उसमें सबसे प्राचीन टीकमगढ़ के पास भानपुर में 9-10 वीं शताब्दी के आसपास बना हुआ जिनालय देखने को मिलता है। इसी काल का एक जिनालय रेहली,

पटना में और कोनी जी अतिशय क्षेत्र, पाटन में भी देखने को मिलता है। ये सभी नौवीं दसवीं शताब्दी के आसपास बनाए गए हैं, जिसमें एक ही फलक में भगवान के छोटे-छोटे बिंब अंकित हैं सहस्त्र कूट जिनालय के रूप में अपनी तेरापंथी कोठी में भी यह सब है। परंतु मुझे ऐसा लगता है कि प्राचीन काल में सहस्त्र कूट जिनालय का रूप कुछ और रहा होगा क्योंकि जब हम शब्दों की ओर जाते हैं तो कूट का अर्थ होता है शिखर  यानी चोटी! तो कहीं ऐसा मंदिर रहता होगा जहां पर 1008 शिखर होते होंगे या 1008 प्रतिमाएं विराजमान होती होंगी। वह सहस्त्र कूट जिनालय की एक अद्भुत छटा होती होगी।

आजकल उसका छोटा रूप एक छोटे फलक में स्थापित करके किया जाने लगा है; आचार्य गुरुवर के आशीर्वाद से अमरकंटक, नेमावर, नागपुर और विदिशा में ये सहस्त्र कूट जिनालय बनने जा रहे हैं, जो काफी उत्तंग ,120-125 फीट ऊंचाई के स्तंभ के साथ स्थापित होंगे जिनमें 1008 जिन प्रतिमाओं को अलग-अलग मंदिरों में स्थापित करने की योजना है। यह आधुनिक युग की एक उत्कृष्ट स्थापत्य और कला का उदाहरण बनेगी किंतु सहस्त्र कूट का जो भी प्राचीन रूप होगा वह हमें शास्त्रों में पढ़ने को तो नहीं मिला किंतु शब्दों के अनुसार देखने को मिलता है। जहां पुराणों में सहस्त्र कूट जिनालयों में पट खुलने की बात लिखी है वहां उनके स्वरूप का वर्णन देखने में नहीं मिला, केवल उल्लेख मिला है। इसलिए अभी तो मैं नहीं बता सकता, लेकिन जरूर इस संपूर्ण मनुष्य लोक में कहीं ना कहीं आज भी सहस्त्र कूट जिनालय होंगे भावना भाओ! कभी देव पर्याय में जाकर उन सहस्त्र कूट जिनालयों की साक्षात बंदना करो और उसका आनंद लो और फिर कोई पूछे तो उसे अवश्य बताओ।

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