बीमारी में कर्म और दवाई क्या का योगदान है?

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शंका

बीमारी अगर अपने पाप कर्म के उदय से आती है, तो क्या दवा पाप कर्म को पुण्य कर्म में बदल देती है?

समाधान

निश्चित बीमारी पाप कर्म के उदय से आती है और जब तक हमारा पाप शान्त नहीं होता हम स्वस्थ नहीं होते। फिर औषधि क्या काम करती है इसको समझिये। 

हमारे यहाँ यह बताया गया है कि कर्म अपना फल द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव के आश्रय से देता है। बीमारी आई, कर्म के उदय से आई, कर्म के उदय में निमित्त क्या बना- एनवायरनमेंट (वातावरण), इंफेक्शन हुआ स्वाइन फ्लू हो गया। स्वाइन फ्लू का इंफेक्शन बॉडी में गया, हमारे शरीर के रसायन परिवर्तित हो गए, रसायन परिवर्तित हुए तो उनका हमारे कर्मों के रसायन से कॉन्बिनेशन (योग) बिगड़ गया, कर्म की परिणति बदल गई, हमारे लिए बीमारी आ गई। एक ही इंफेक्शन के वातावरण में १० लोग रहते हैं एक को इंफेक्शन हो जाता है और ९ बच जाते हैं, जिसके भीतर का कॉन्बिनेशन बिगड़ा, वह बीमारी का शिकार हो गया। जिसका नहीं बिगड़ा वह ऐसी स्थिति में रह करके भी बीमारी से मुक्त रहा तो कॉन्बिनेशन बनने और बिगड़ने से हमारे रोग और स्वास्थ्य का सम्बन्ध जुड़ा हुआ है। 

अब हमारे शरीर के रसायनों में परिवर्तन आया, हमने औषधि ली, उस औषधि ने हमारे शरीर के रसायनों को बदल दिया। आज हमारे शरीर के रसायन में सुधार हुआ तो हमारे कर्म के रसायनों का समीकरण बदला और जब कर्म के रसायन का कॉमबिनेशन बैठ गया तो कर्म के उदय में परिवर्तन हो गया तो हमारे लिए औषधि भी पुण्य के उदय में निमित्त बन गई, पाप के क्षय में निमित्त बन गई, आरोग्य लाभ का हेतु बन गई, ये पूरा सिस्टम एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। कभी बीमार पड़ें तो केवल इस ख्याल से मत बैठना कि मेरे पाप कर्म का उदय है इसलिए बीमार हैं, कर्म का उदय आयेगा तो ठीक हो जाएँगे। अभी उतना आसान नहीं है, पुण्य कर्म का उदय लाने के लिए योग और औषधि दान की भी शास्त्रों में आज्ञा है और आप औषधि ले करके अपने पुण्य उदय को जगा सकते हैं।

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