जैन धर्म में ‘आशीर्वाद’ और ‘अभिशाप’ की क्या परिभाषा है?

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शंका

जैन धर्म के परिपेक्ष में ‘आशीर्वाद’ और ‘अभिशाप’ की क्या परिभाषा है?

समाधान

आशीर्वाद केवल एक भावनात्मक क्रिया है। आशीर्वाद देने का विधान तो आगम में लिखा है, लेकिन अभिशाप देने का विधान जैन धर्म में कहीं नहीं है। 

एक बात ध्यान रखना, आशीर्वाद कोई कितना भी दे आशीर्वाद तब ही फलेगा जब तुम्हारा पुण्य होगा। ऐसे ही कोई तुम्हें कितना भी शापित करें, बद्दुआएँ दे तो उसका असर तब ही होगा जब तुम्हारा पाप कर्म का उदय होगा। इसलिये आशीर्वाद लो, वो अपने मनोबल को जगाने में निमित्त है। किसी के शाप से घबराओ नहीं, कोई कितना भी शापित करे तुम्हारा बाल भी बांका होने वाला नहीं है।

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