हम गुस्सा नहीं करना चाहते हैं और बहुत बार सामने वाला ऐसी बात कहता है कि गुस्सा आ जाता है, तो क्या दोनों को दोष लगता है?
निर्मला जैन
चाह कर गुस्सा करने वाले तो बहुत कम होंगे, न चाहते हुए गुस्सा करने वाले ज़्यादा क्योंकि गुस्सा कोई करना नहीं चाहता और गुस्सा करने वालों को कोई नहीं चाहता, दोनों बात तो सही है न। गुस्सा करना नहीं चाहते और अब गुस्सा करने वाले को भी कोई नहीं चाहता यह संयोग है।अपने को उसी घड़ी में अपने विवेक का प्रयोग करना चाहिए और यथासम्भव कोशिश करनी चाहिए कि गुस्सा न हो। यदि गुस्सा करना ही पड़े तो बाद में सॉरी करके मामला ठीक कर लेना चाहिए।
सामनेवाले की भी तो गलती होती है ना महाराज श्री, तो उसने गलती की तो आपने कौन सा अच्छा किया। दोष तो दोनों को लगेगा इसलिए गुस्सा ख़तम करो? क्रोध को कलह का रूप मत लेने दो।
गुस्सा करना और गुस्सा रखना, गुस्सा करना इतना बुरा नहीं जितना गुस्सा रखना। गुस्सा रखने का मतलब पानी को फ्रिज में रखते तो वह बर्फ बन जाता है इसी तरह गुस्से को मन में रखो तो जमकर के बैर की बर्फ बन जाएगा, गड़बड़ हो जाएगा। इसलिए झगड़ा मत होने दो, गुस्सा करो मत, हो जाएँ तो उसे रखो मत, तुरन्त क्षमापना करके मामला रफा-दफा कर दो।
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