मोह, वात्सल्य और करूणा में क्या अंतर है?

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शंका

मोह, वात्सल्य और करूणा में क्या अन्तर है?

समाधान

मोह किसी व्यक्ति / वस्तु विशेष के प्रति होता है, जिसमें कुछ अपेक्षा होती है। वात्सल्य बिना किसी अपेक्षा के सहज होता है। करूणा एक दया से भीगा हुआ भाव है, जो प्राणी मात्र के प्रति होता है। तीनों में अन्तर है, ऊपर से देखने में एक जैसा लगता है। 

माँ का अपने बच्चे के प्रति मोह होता है, उसे छोटा सा भी कष्ट होता है, तो माँ का मन मचल उठता है। कहते हैं कि माँ के वात्सल्य के कारण, वह वात्सल्य नहीं ममता है या मोह है, वह अपने बच्चे को अपना मानती है। जितनी पीड़ा उसे अपने बच्चे की वेदना से होती है, यदि पड़ोसी का बच्चा उससे ज्यादा वेदना में हो तो भी उसे नहीं होगी। तो ये मोह है, व्यक्ति या वस्तुओं तक सीमित होता है। वह हमें अन्दर से प्रभावित करता है, जो एक अशुभ परिणति है। जिसमें किसी प्रकार का स्वार्थ जुड़ा हुआ है।

वात्सल्य सहज होता है जिसमें किसी से कोई अपेक्षा नहीं लेकिन हृदय से एक आंतरिक प्रेम होता है। गाय और बछड़े की तरह वह प्रेम बताया गया सहज वात्सल्य। वात्सल्य सात्विक प्रेम की अभिव्यक्ति का नाम है। जिसमें सामने वाले से कुछ रिटर्न की अपेक्षा नहीं लेकिन सहज झुकाव है। 

करूणा, प्राणी मात्र के प्रति दया से भीगी हुई भावना को करूणा कहते हैं, और जो सहज रूप से स्फुरित होती है, वह हमारे भीतर की संवेदनशीलता की अभिव्यक्ति है। जो व्यक्ति जितना अधिक संवेदनशील होता है, उसके द्वारा जीवों के प्रति करूणा अधिक प्रकट होती है। वात्सल्य प्रेम, व्यक्ति के हृदय से प्रकट होता है और मोह कुछ व्यक्ति या वस्तुओं तक ही सीमित रहता है।

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