श्रावक की जाप और मुनियों की जाप द्वारा होने वाली निर्जरा में अंतर क्यों?

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शंका

श्रावक की जाप और मुनियों की जाप द्वारा होने वाली निर्जरा में अंतर क्यों?

समाधान

जाप के निमित्त से निर्जरा सबकी होती है, लेकिन एक मुनिराज की निर्जरा में और एक गृहस्थ की निर्जरा में, एक व्रती की निर्जरा में और एक अव्रती की निर्जरा में भिन्नता है क्योंकि अव्रती केवल जाप करता है और व्रती जाप करने के साथ-साथ संयम का अनुपालन भी करता है। जिसके साथ संयम प्रत्यय जुड़ा रहता है वह संयम की विशुद्धि के निमित्त से प्रति समय असंख्यात गुण श्रेणी स्वभाविक निर्जरा करता है। उस स्वभाविक निर्जरा में यह निर्जरा और जुड़ जाती है, उसकी विशुद्धि भी बढ़ती है। अव्रती के साथ वह असंख्यात गुनी निर्जरा नहीं होती, इसलिए उसकी निर्जरा अल्प विशुद्धि वाली होती है। अव्रती से व्रती और व्रती से महाव्रती की निर्जरा असंख्यात गुण श्रेणी रूप अधिक होती है।

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