महिलाओं को पार्लर में बाल कटवाने का क्या दोष लगता है?
अब इसके लिए हम क्या कहें? हम तो कभी गए नहीं। मैं तो ये मानता हूँ कि जो महिलाएँ पार्लर में जाकर बाल कटवाती हैं, उन्हें जीवन में केशलोंच करने का सौभाग्य शायद ही मिल पाता है। बड़ा कठिन होता है, दुर्लभ है, यह आज का फैशन है। जहाँ तक दोष की बात है, तो इसमें दोष जैसा तो मैं नहीं कहूँगा। यदि अहिंसक रीति से ये सारे कार्य होते हैं, तो इसको दोष कहना शायद अति हो जायेगा। फिर भी अपनी मर्यादा में रहकर यह कार्य होना चाहिए। आजकल बहुत सारी विकृतियाँ आ गयी हैं। पार्लरों के नाम पर मसाज़ सेन्टर चल रहे हैं। उसमें भी पुरुषों की मसाज़ जैसी विकृत परम्परा चालू हो गयी है। इस तरह की विकृतियों से बचना चाहिए। इससे सामाजिक मर्यादाएँ तार-तार हो रही हैं। इसलिए मर्यादाओं की रक्षा करते हुए आप जो कुछ करें, वो कर सकती हैं। मैं उसका निषेध नहीं कर सकता।
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