हमारे पापा जी की सल्लेखना चल रही है तो हम लोगों का क्या कर्तव्य होना चाहिए और सल्लेखना के बाद परिवार वालों को क्या करना चाहिए?
आपके पिताजी बहुत भाग्यशाली हैं कि ऐसी स्थिति में गुरु सानिध्य को पाकर उनके अंदर इतने अच्छे भाव जगे हैं कि वे अपने सल्लेखना पूर्वक देह त्याग की बात सोच रहे हैं।
आप लोगों को सबसे पहला काम तो यह है की खुद के मोह को शांत रखना चाहिए और अपने पिताजी को किसी भी प्रकार का मोह ना हो इस प्रकार के भाव को जगाना चाहिए। बार बार उनके निकट भी नहीं जाना चाहिए, disturb (परेशान) भी नहीं करना चाहिए। यदि जाओ, तो उनको सम्बोधो, उनके वैराग्य को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए और अपने पिताजी के लिए सोचो कि “इन की समाधि उत्तम रीति से हो, भेद विज्ञान पूर्वक हो और बिना किसी वेदना के हो”। मंगल भावना भाते हुऐ आप उनके प्रति दूर बैठकर भी ऐसी भावना भाये और खुद के लिए सोचो कि “जिस तरीके से इनका समाधि मरण हो रहा है जीवन के अंत में मैं भी अपने देह को समाधि पूर्वक त्याग सकूँ, धर्म ध्यान पूर्वक अपने देह को छोड़ सकूँ। मेरा अंत गुरु चरणों में णमोकार जपते हुए हो; अस्पताल में आहें भरते हुए ना हो।”
Leave a Reply