शंका
जिन मन्दिर, जहाँ पर शांति मिलती है, जहाँ से हमारे धर्म की शुरुआत होती है, वहाँ पर सभी लोग जाते हैं परन्तु थोड़ी अव्यवस्था हो जाती है। ऐसे में हमारा मन्दिर के प्रति क्या कर्त्तव्य है?
समाधान
बहुत बड़ा कर्त्तव्य है! जहाँ जाकर हम अपने जीवन को पवित्र बनाते हैं, जहाँ जाकर हम अपने जीवन के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं, वहाँ जाने के बाद वहाँ की पवित्रता को कायम रखना, वहाँ की व्यवस्थाओं को सुचारू बनाए रखना- ये सबका निजी दायित्त्व होता है। वहाँ के वातावरण में सात्विकता की झलक होनी चाहिए, ऐसा हमको प्रयास करना चाहिए।
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