हुण्डावसर्पणी काल क्या होता है और उसके दोष अन्त के चार के तीर्थंकरों को क्यों लगे?
हुण्ड का अर्थ होता है विचित्र! यानि जहाँ अनेक प्रकार की विचित्र बातें, जो प्रयोग न हों ऐसी बातें घट जाएँ उस काल का नाम हुण्डा; और वर्तमान में ये अवसर्पिणी काल है, तो हुण्डावसर्पणी काल बन गया। इस काल में कई ऐसी बातें हुई- जैसे प्रथम तीर्थंकर का तृतीय काल में ही मोक्ष हो जाना, चक्रवर्ती की हार हो जाना, शांतिनाथ, कुन्थनाथ अरहनाथ तीर्थंकरों का चक्रवर्ती और कामदेव भी बन जाना और अन्तिम तीर्थंकर का चतुर्थ काल में समय शेष रहने से पूर्व ही निर्वाण हो जाना। आपने पूछा अन्त के चार तीर्थंकर? अन्त के चार नहीं, अन्त के तीन तीर्थंकर बाल ब्रह्मचारी हैं; तीर्थंकरों का बालब्रह्मचारी होना ये सब भी हुण्डावसर्पणी काल का प्रभाव है, ये क्यों होता है? इसका कोई कारण नहीं है। ये चलता आ रहा है सो चलता रहेगा।
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