नित्यपूजा में भाव का क्या महत्व है?

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शंका

भावपूर्वक और शांति पूर्वक की हुई एक पूजा और भाव रहित और शांति रहित की गई तीन पूजाएँ, क्या इनका महत्त्व समान होता है?

समाधान

हालाँकि, भाव यदि सब में बराबर लगे तो इनका भी महत्त्व बराबर हो जाता है भाव सहित एक पूजा करोगे तो एक पूजा का फल मिलेगा और भाव सहित तीन पूजा करोगे तो तिगुना फल मिलेगा। तो भाव सहित जितना ज़्यादा से ज़्यादा करना है, तो करो। 

मैं तो आपको सारांश में बोलता हूँ कि एक करो चाहे दस, भाव सहित करो। भाव रहित सौ पूजा का कोई मतलब नहीं है। भाव शून्य क्रियाएँ फलवान नहीं होती इसलिए जितना बन सके भाव सहित क्रियाएँ सम्पन्न करें।

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