शंका
“मोक्ष की इच्छा नहीं करना, मोक्ष की भावना भाना”, इसका क्या अर्थ है?
समाधान
मैंने यह कहा था कि “मोक्ष की भावना भाना”- इसका तात्पर्य समझो! इच्छा करने से कोई चीज़ नहीं मिलती, भावना भाने से और भावना के साकार होने से चीज़ों की उपलब्धता होती है। मोक्ष मार्ग में अगर आप अपने आप को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो कोरी इच्छा कुछ काम की नहीं, इच्छा एक प्रकार की आकुलता है। हाँ, जब तक मन में असद् इच्छाएँ हैं, तब तक मोक्ष की इच्छा सदिच्छा है। और जो इच्छातीत होना चाहते हैं उनके लिए मोक्ष की इच्छा भी एक आकुलता है। इसलिए हमेशा मोक्ष की भावना भाओ, जो भी पाना चाहते हैं उसकी भावना भाएँ, तभी अपने जीवन के चरम लक्ष्य को पा सकोगे।
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