शंका
जैन धर्म में स्वाभिमान का क्या महत्त्व है? क्या स्वाभिमान को अभिमान, मान कषाय में माना गया है?
समाधान
चार शब्द हैं- मान, अभिमान, स्वाभिमान और मद। स्वाभिमान का मतलब है अपनी गरिमा को बनाए रखना, इसमें सामने वाले से सम्मान की अपेक्षा नहीं है पर कोई मेरा अपमान न कर दे, यह सावधानी है। मान अपनी योग्यता के अनुरूप सामने वाले से सम्मान की अपेक्षा रखना- मैंं इस लायक हूँ, मैंं साधु हूँ, लोग मुझे पूजें, यह मेरा मान है। मैं साधु हूँ, मैं कोई असाधु कार्य न करूँ ताकि लोग मुझ पर ऊँगली उठा सकें – यह मेरा स्वाभिमान है। स्वाभिमान अनुकरणीय है, मान नहीं। मान का बड़ा भाई है अभिमान– योग्यता से अधिक सम्मान की चाह करना; और सबसे खतरनाक है मद – मान में इतना मत्त हो जाना कि अपने अलावा सबको तुच्छ मानना, किसी को गिनना ही नहीं।
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