शंका
आपने कभी आत्मा के साक्षात् दर्शन किए हैं, उसका क्या स्वरूप होता है और उस समय आपकी क्या मनःस्थिति रहती है?
राखी अजमेरा
समाधान
आत्मा मेरे भीतर है और मैं ही आत्मा हूँ। ऊपर से चोला ओढ़ा हुआ हूँ। हमने जब भी आत्मा को देखा है, तो रूप में देखा है, रंग में देखा है, शरीर में देखा है। हर प्राणी अपनी आत्मा को रूप, रंग, शरीर और लावण्य में देखता है। लेकिन अपनी आत्मा को रूप, रंग से रहित अवस्था, आत्मा के शुद्ध ज्ञान दर्शनात्मक अवस्था को देख पाना केवल ध्यान में ही सम्भव है। मैंने आत्मा को अनुभव किया है, पर आज तक शुद्ध आत्मा को नहीं, अशुद्ध आत्मा का अनुभव किया और जब शुद्ध आत्मा का ज्ञान हो जाता है तब उसी क्षण ही केवलज्ञान की प्राप्ति हो जाती है। शुद्ध आत्मा का अनुभव बहुत दुर्लभ है। शुद्ध आत्मा की भावना तो भायी जाती है पर अनुभूति महान योगियों को ही होती है।
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