तत्व ज्ञान की जीवन में क्या ज़रुरत है?

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शंका

हम लोग अपने जीवन में कक्षा १२ तक फिजिक्स-केमिस्ट्री-मैथमेटिक्स पढ़ते हैं। मैथमेटिक्स का काफी बड़ा हिस्सा जैसे ALGEBRA (बीजगणित), STATISTICS (सांख्यिकी) हमारी प्रैक्टिकल लाइफ में काम नहीं आता, मुश्किल से दो चार पर्सेंट आता है। यह पढ़ाया क्यों जाता है?सिर्फ मार्क्स पाने के लिए पढ़ा रहे हैं या डिग्री के लिए? मैं यह जानना चाहता हूँ अभी पिछले दो-तीन दिनों से हम तत्वज्ञान के अन्दर ‘प्राप्तियाँ, संज्ञा, माघवन..’ इस तरह की चीजें पढ़ रहे हैं। इन का ज्ञान क्या हम क्यों प्राप्त करें? क्या सिर्फ इसलिए कि हम रत्नत्रय के मार्ग में सम्यक ज्ञानी हो जाएँ, ज्ञान बढ़ाएँ? या उसका हमारे जिंदगी में या फिर प्रैक्टिकल लाइफ के ऊपर भी कोई असर पड़ता है?

समाधान

बात सही है, आपने कहा कि हमें मैथमेटिक्स में बहुत सारी चीजें पढ़ाई जाती हैं पर हमारे व्यावहारिक जीवन में का कोई उपयोग नहीं होता। लेकिन जो उस क्षेत्र में आगे बढ़ते हैं उनके लिए तो बहुत उपयोगी है। जब वो basics समझेगा तभी तो आगे बढ़ पाएगा। अभी आपको उसका उपयोग नहीं दिख रहा है लेकिन आप कहीं इंजीनियरिंग के लाइन में होते या और किसी ऐसे टेक्निकल फील्ड में होते जहाँ सब कुछ कैलकुलेशन से चलता होता तो आप के लिए उस मैथमेटिक्स का ज्ञान जरूरी था कि नहीं? यही बात धर्म क्षेत्र में है। धर्म क्षेत्र में बहुत सारी बातें ऐसी हैं जो हमें सीधे प्रयोजनीय नहीं दिखती, लेकिन फिर भी पढ़ना चाहिए। क्योंकि जब हम उनको पढ़ते हैं तो जीव जगत का ज्ञान मिलता है और जीव जगत के बारे में जब हम जानते हैं तो हम अहिंसा का अनुपालन और अच्छे से कर सकते हैं। 

जीव विज्ञान को ठीक तरीके से जाने बिना अहिंसा का पालन कैसे करोगे? कैसे जीव विकसित होता है? यह पर्याप्ति-प्राण की जो बातें हैं, वही हैं। प्राण को बचाना हमारा धर्म है। उसके मूल को समझो! सारे संसार के जीवों को समझो! यह हमारे परिणामों की निर्मलता का एक निमित्त है। भाव विशुद्धि का एक कारण है। और पढ़ते-पढ़ते जिनको इस तरह के सिद्धान्त ग्रंथों के अध्ययन की अभिरुचि जग जाती है वे ऐसी विशुद्धि से भरते हैं कि पूछो मत! बात तो इतनी है कि हम आत्मा-अनात्मा को जाने लें काम हो जाए। लेकिन २४ घंटा हम उसमें लग तो नहीं सकते हैं। तो हम आत्मा में डूब पाएँ या न डूब पाएँ, कोई बात नहीं; पर कम से कम अनात्मा में जाने से बचने के लिए इनका आलम्बन लेते रहो, गाड़ी ठीक रहेगी।

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