शरीर में रोग असाता के उदय से आता है और रोग का शमन असाता के शमन से होता है। तो फिर औषधि से रोग का क्या सम्बन्ध होता है?
आपका प्रश्न है-औषधि का अनुपात रोग शमन में कैसे सहायक होता है जबकि रोग उत्पत्ति का मूल कारण कर्मोदय माना जाता है? हमारे शरीर में रोग कब होते हैं? मेडिकल साइंस के हिसाब से हम स्वस्थ शरीर के फंक्शन में विकृति आने से रोग होता है। फंक्शन में विकृति आना यानि हमारे शरीर के रसायनों में परिवर्तन होना। हमारे शरीर के रसायनों में जब परिवर्तन आ जाता है हमारे शरीर में विकृति आ जाती है, रोग उत्पन्न हो जाता है। रसायन में परिवर्तन क्यों आता है? एक तो वातावरण के कारण -जैसे किसी को वायरल इंफेक्शन हो गया- वातावरण कारण बना। हर किसी को वायरल इन्फेक्शन क्यों नहीं होता है? साइंस कहता है जिसका resistance power (प्रतिरोधक क्षमता ) होता है उसको इंफेक्शन नहीं होता; धर्म कहता है जिसके साताकर्म का तीव्र उदय होता उसको कोई वायरल नहीं होता, रोग नहीं होता। तो इंफेक्शन बाहर का निमित्त है और उसमें अशुभ कर्म का उदय अन्तरंग निमित्त है। जब अशुभ कर्म का उदय होता है, तो अशुभ कर्म हमारे भीतर के रसायनों को परिवर्तित कर देता है। जिस प्रकार के कर्म का उदय होता है, उसी अनुरूप हमारे शरीर के रसायनों में परिवर्तन आने शुरू हो जाता है और जब रसायनों में वैसा परिवर्तन आता है, तो हमारे शरीर में बीमारियाँ और विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं, तो कर्म ने हमारे रसायन को परिवर्तित किया और रसायन के परिवर्तन से हमारे स्वास्थ्य में परिवर्तन आ गया।
अब जब व्यक्ति औषधि लेता है, तो औषधि का क्या रोल होता है? औषधि हमारे शरीर में होने वाले रसायनों की कमी की पूर्ति करती है। औषधि लेने से हमारे शरीर के रसायनों में जो भी कमी थी, उसकी पूर्ति हुई और जब कमी की पूर्ति होती है, तो कर्म ने जिस तरह का secretion (स्राव )किया था , जिस तरह के रसायन को उत्पन्न किया था, वह रसायन उत्पन्न होना बंद हो जाते हैं। एक internal adjustment होता है, एक समीकरण बनता है। फिर वह असाता जो हमारे भीतर तकलीफ को जन्म दे रही थी, उसके आगे पनपने की अनुकूलता नहीं बनती और जब असाता को पनपने की अनुकूलता नहीं बनती, असाता रुक जाती है और साता की उद्दीरणा हो जाती है और साता की उद्दीरणा होने से अनुकूल रसायनों का स्राव हमारे भीतर होने लगता है और व्यक्ति स्वास्थ्य लाभ को प्राप्त कर जाता है, यह औषधि के अनुपात का विज्ञान है।
Leave a Reply