शंका
एक परिवार के द्वारा मूर्ति विराजमान करने के बाद उनकी क्या जिम्मेदारी होती है? और उस से क्या पुण्य मिलता है?
भाविका जैन, इंदौर
समाधान
प्रतिमाजी (मूर्ति) स्थापना करना बहुत पुण्य का कार्य है और जिनप्रतिमा की स्थापना को शास्त्रों में नित्य पूजा की संज्ञा दी है। इसलिए ऐसा अवसर मिले तो जिनप्रतिमा की स्थापना करनी चाहिए। पर जिनप्रतिमा की स्थापना का मतलब केवल यह नहीं है कि आप केवल जिनप्रतिमा का स्थापना करें। जिनप्रतिमा की स्थापना का तात्पर्य यह है कि उस प्रतिमा की स्थाई रूप से पूजा-अराधना होती रहनी चाहिए । तो ऐसी व्यवस्था भी आप बनाएँ जिससे स्थाई रूप से जिनप्रतिमा की पूजा-आराधना होती रहे। और आप ऐसा प्रयास करें उसके लिए कुछ द्रव्य-दान आदिक दे दें और अनुकूलता बने तो समय-समय पर आकर पूजा-अर्चना भी करें।
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