वर्तमान नारी जीवन में संयुक्त परिवार की क्या भूमिका है?

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शंका

वर्तमान नारी जीवन में संयुक्त परिवार का स्वरूप, उपयोगिता एवं समस्यायें, कृपया मार्गदर्शन करें?

समाधान

संयुक्त परिवार का स्वरुप तो हम सब जानते ही हैं, जिसमें पति, पत्नी और बीवी, बच्चे रहे, वह है परिवार; और जिसमें माँ, बाप, बीबी, बच्चे, भाई, बहन सब रहे, वह है संयुक्त परिवार। संयुक्त परिवार की उपयोगिता सदा से थी, है और रहेगी। संयुक्त परिवार में जो ख़ूबियाँ है, वह एकल परिवार में नहीं है। कुछ बन्धन जरूर दिखते हैं, लेकिन बन्धन होने के साथ-साथ सुविधाऐं भी है, सुरक्षा भी है। 

एकल परिवार में स्वतंत्रता है, सुरक्षा नहीं और संयुक्त परिवार में स्वतंत्रता नहीं पर पूर्ण सुरक्षा है। पर यह तभी चल सकता है, जब परिवार के सदस्यों में उदारता और सहिष्णुता जैसे गुण हों। अपने भीतर उदारता है, अपने भीतर सहिष्णुता का भाव आएँ तो जीवन को आगे बढ़ाया जा सकता है। 

हमें क्या करना चाहिए? संयुक्त परिवार के लिए कुछ टिप्स आप सबको दे रहा हूँ। सबसे पहले अपने से बड़ों का बहुमान होना चाहिए, छोटो के प्रति वात्सल्य का भाव होना चाहिये, बड़ों को चाहिए कि किसी के प्रति पक्षपात न रखे और छोटो को चाहिए कि बड़ों की कृपा को अपना अधिकार न माने। उनके प्रति अपने बहुमान के भाव को कम न करें। कोई भी सदस्य यदि अच्छा कार्य करे तो उसे प्रोत्साहित करें, छोटी-छोटी बातों में टोका न करें, प्रशंसा और प्रोत्साहन में कभी कमी न करें। यदि कोई चीज लाए हैं तो बड़े लाए हैं तो पहले छोटे को दें कि तुम इसका प्रयोग करके देखो, कैसे लगता है; और छोटे लाएं तो बड़े के लिए कहें कि तुम इसका प्रयोग करके देखो, कैसा लगता है। 

देखो एक उदाहरण देता हूँ, अगर देवरानी अपने मायके से हीरे की चूड़ी लेकर आई है और पहले अपनी जेठानी को कहे कि दीदी आप पहले पहनो तो देखो कैसे लगती है, आप पहले पहनो, फिर मैं पहनूंगी और जेठानी यदि कोई अच्छी साड़ी लेकर आए तो पहले अपनी देवरानी को कहे- बहन पहले तू पहन ले, देख कैसी लगती है, फिर मैं पहनूंगी। जिस घर में यह प्रवृति होगी, वह घर कभी बिखर नहीं सकता, हमेशा बचा रहेगा।

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