आज के लड़के-लड़कियों में आकर्षण बहुत बढ़ रहा है जिसे वह प्यार का नाम देते हैं। इसे कैसे रोका जाए?
आज के युवक-युवती जिसे प्यार कहते हैं, वो प्यार है या यौवन में होने वाले विपरीत लिंग का आकर्षण? ये एक आकर्षण है, जो उम्र के कारण शरीर और मन की भूख की पूर्ति के लिए एक दूसरे की ओर खींचता है और जब इस उम्र में लोग एक-दूसरे से जुड़ते है उस समय उनके अन्दर नई- नई भावनायें जागृत होती हैं और उन भावनाओं के आगे वो सब भूल जाते हैं।
पहले प्यार की बात करते हैं फिर बाद में एक दूसरे से जुड़ जाने के बाद तकरार करते रहते हैं, तो ये ठीक बात नहीं है। उन्हें ठीक ढंग से समझाने की ज़रूरत है। बच्चों को प्रारम्भ से ही समझाना चाहिए। बारह से चौदह वर्ष तक ही उम्र होने पर उनको ये बातें समझा देना चाहिए। आने वाले दौर में उम्र के इस पड़ाव पर जीवन में किस प्रकार के शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होते हैं? और मन में कैसी-कैसी आकांक्षाएँ उत्पन्न होती हैं? वहाँ मनुष्य को कहां-कहां सावधान होना चाहिए? यदि ये बातें बच्चों को समय रहते सिखा दी जाएँ तो बच्चे शायद ऐसी भूल से बचेंगे और ये जो खुमारी है उसका दुष्प्रभाव उन पर नहीं पड़ेगा। उन्हें ठीक प्रकार से समझा करके ये सारे कार्य संपन्न किये जा सकते हैं।
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