शंका
जब आयु कर्म के निमित्त से जीवोंं के शरीर की स्थिति बनी रहती है तो फिर अकाल मरण क्या है?
समाधान
आयु कर्म के योग से स्थिति तो रहती है लेकिन आयु कर्म कितने दिन तक टिकेगा यह तो पक्का नहीं है ना। आयु कर्म समय में भी नष्ट होता है और असमय में भी नष्ट होता है जिसे ‘कदलीघात’ कहा है। ‘कदलीघात’ कैसे होता है? जैसे केले का पेड़ एक बार फल देता है उसके बाद उसमें दोबारा फल नहीं होता। उसके बगल में दूसरा अंकुर उत्पन्न हो जाता है। नए अंकुर को पर्याप्त रस मिले इस भाव से किसान लोग पुराने हरे-भरे पेड़ को काट डालते हैं। इसी प्रकार जब किसी का हरा-भरा जीवन असमय में नष्ट हो जाये तो उसे ‘कदलीघात’ कहते है जो अकाल मरण है। आगम में इसका पर्याप्त वर्णन है।
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