ईश्वर और गुरू को पाने के लिए क्या करना चाहिए?
ईश्वर और गुरु को पाने के लिए सीधा सीधा उपाय है-जिनको पकड़ा है उनसे मुँह फेर लो! अपने आप तुम्हारे कदम उस तरफ हो जाएँगे।
मुझे एक बहुत अच्छी बात याद आ गई, शिष्य ने गुरु से कहा कि- “गुरूदेव! मुझे परमात्मा की उपलब्धि कब होगी?’ गुरु ने कहा- “ठीक है! आज मैं तुझे उसका रहस्य बताता हूँ, चलो नदी के किनारे पहले स्नान करें।” गुरु शिष्य दोनों कमर तक पानी में उतरे, स्नान करने लगे। अचानक गुरु ने तेजी से शिष्य के सिर को पकड़ा और झटके से पानी में डुबो दिया। पानी में डूबते ही शिष्य एकदम हकपका गया और पूरी ताकत से गुरु का प्रतिकार करके बाहर आया। गुरु ने पूछा- “आज तक तूने मेरी किसी बात का प्रतिवाद नहीं किया, आज ऐसा दुस्साहस क्यों किया? शिष्य बोला- “गुरूदेव! ऐसा नहीं करता तो मर जाता, मैं तो आया था आपसे परमात्मा की उपलब्धि का मार्ग जानने के लिए, आपने डुबो दिया।” “तूने ऐसा प्रतिकार क्यों किया?”, वह बोला- “इसलिए कि मुझे श्वांस लेने में घुटन हो रही थी, श्वांस लेना मुश्किल हो रहा था। पर गुरूदेव आपने ऐसा किया क्यों?” गुरु ने कहा- “मैंने कुछ नहीं किया, मैंने तो केवल तुझे जवाब दिया। जैसे श्वांस के अभाव में तुझे पानी में घुटन हो रही थी उसी प्रकार जिस दिन तुझे परमात्मा के अभाव में घुटन होने लगेगी, जहाँ खड़ा होगा परमात्मा को अपने सामने खड़ा पाएगा।”
इसके लिए अंदर से एक पीड़ा होनी चाहिए जो उत्कंठा में परिवर्तित हो जाए, लगन में परिवर्तित हो जाए तो व्यक्ति सबका साक्षात्कार कर सकता है।
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