मुझे बहुत ही धार्मिक और संस्कारी परिवार मिला है। मेरी बेटियाँ ऐसा क्या पुण्य कर्म करें कि उन्हें भी बहुत धार्मिक और संस्कारी परिवार मिले! इसमें हमारी क्या सहभागिता हो?
अनुकूल संयोग पुण्य के निमित्त से ही मिलते हैं। संस्कार गहरे होंगे तो अनुकूलतायें बनती हैं। अच्छे का पहले चुनाव करें और संबन्ध तय करने से पहले सब बातें देख समझ लें। आपका पुण्य होगा तो आपके अनुकूल संयोग मिलेंगे ही और कदाचित जैसा चाहते हैं वैसा संयोग यदि ना मिले तो फिर पुण्य की प्रतीक्षा करने की जगह पुरुषार्थ को सक्रिय करो और अपने पुरुषार्थ से सामने वाले को अपने अनुकूल बनाने का प्रयास करो तो प्रतिकूल भी अनुकूल बन सकता है। ऐसे कई उदाहरण देखने में आये हैं कि जो व्यक्ति पहले अच्छे धार्मिक बैकग्राउंड से शून्य था, संस्कार भी बहुत अच्छे नहीं थे, लेकिन विवाह के उपरान्त उसकी धर्मपत्नी ने उसके जीवन में बहुत परिवर्तन किया, तो यह पुण्य से भी मिलता है, पुरुषार्थ से भी मिलता है। जब पुरुषार्थ सही हो, संस्कार अच्छे हों और थोड़ी सी पुण्य की बैकिंग मिल जाये तो फिर कहना ही क्या, सोने में सुगंध जैसी बात हो जाती है।
आप ने पूछा कि “ऐसा क्या पुण्य करें कि अच्छे संस्कारवान घर मिले?” तो संस्कारवान लोगों से अपना संपर्क बनाओ। संबन्ध उससे करो, जिसका गुरु एक हो, जिसका धर्म एक हो, उसके संग सारा काम हो जायेगा। उसे चुनने में कुछ भी अनुकूलता खोजने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर यह आप देखेंगे तो शायद कभी धोखा नहीं खायेंगे।
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